कतरा कतरा बन
जि़न्दगी गिरती रही
हर लम्हों को मैं
यादों में सहेजती रही
अनमना मन मुझसे
क्या मांगे,पता नहीं
पर हर घड़ी धूप सी
मैं ढलती रही
रात, उदासी की चादर
ओढा़ने को तत्पर बहुत
पर मैं
चाँद में अपनी
खुशियाँ तलाशती रही
और चाँदनी सी
खिलखिलाती रही
****************
महेश्वरी कनेरी
अप्रकाशित /मौलिक
Added by Maheshwari Kaneri on June 11, 2014 at 1:00pm — 10 Comments
कुछ नई सी बात है
आज सुरमई प्रभात है
उम्मीद नहीं विश्वास है
एक अच्छी शुरुवात है
एक पग आगे बढ़ा
कोटि पग भी बढ़ चले
हाथों से हाथ मिले
दिलों के तार जुड़ते चले
ये भी जज्बात है
एक अच्छी शुरुवात है……….
जैसे छिप गया हो तम
अँधेरे की बौछार से
नवल कोंपलें खिल उठीं
बसंत की पुकार से
प्रकॄति की सौगात है
एक अच्छी शुरुवात है………….
हौसलों की उड़ान भर
उद्धमी मन थकता नहीं
असंभव को संभव…
ContinueAdded by Maheshwari Kaneri on June 1, 2014 at 7:49pm — 12 Comments
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |