Added by Mahendra Kumar on June 27, 2016 at 12:42pm — 6 Comments
122/122/122/12
मुहब्बत मेरी बेनवा ही सही
तुम्हारी नज़र में ख़ता ही सही
चलो इश्क़ में कुछ किया तो सही
दुआ जो नहीं, बद्दुआ ही सही
है जितनी भी, जैसी भी, जी जाइये
भले ज़िंदगी बेमज़ा ही सही
कहाँ है वो, कैसा है, किस हाल में
न मंज़िल मिले तो पता ही सही
चलो आओ थोड़ा सा रुक लें यहाँ
अभी के लिए मरहला ही सही
हमें रौशनी की ज़रूरत नहीं
अँधेरा घना तो घना ही सही
कई बार लोगों से ये…
ContinueAdded by Mahendra Kumar on June 20, 2016 at 7:00pm — 7 Comments
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