For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Amod Kumar Srivastava's Blog – June 2015 Archive (3)

पच्चईयाँ ( नाग पंचमी )

तीन दिन पहले से ही 

सच कहूँ तो एक हफ्ते पहले से ही 

पच्चईयाँ (नाग पंचमी) का 

इंतजार रहता था .... 

एक एक दिन किसी तरह 

से काटते हुये 

आखिर, पच्चईयाँ आ ही जाती थी 

पच्चईयाँ वाले दिन 

सुबह ही सुबह 

अम्मा पूरा घर 

धोती थी, हम सब को कपड़े 

पहनाती थी 

सुबह सुबह ही 

गली मे 

छोटे गुरु का बड़े गुरु का नाग लो भाई नाग लो 

कहते हुये बच्चे नाग बाबा 

की फोटो बेचते थे 

हम वो…

Continue

Added by Amod Kumar Srivastava on June 27, 2015 at 7:00am — 6 Comments

गर्मी बहुत है

सुनो, 

गर्मी बहुत है 

अपने अहसासों की हवा 

को जरा और बहने दो 

यादों के पसीनों को 

और सूखने दो 

सुनो, 

गर्मी बहुत है 

गुलमोहर के फूलों 

से सड़कें पटी पड़ी हैं 

ये लाल रंग 

फूल का 

सूरज का 

अच्छा लगता है 

अपने प्यार की बरसात को 

बरसने दो 

बहुत प्यासी है धरती 

बहुत प्यासा है मन 

भीग जाने दो 

डूब जाने दो 

सुनो,

गर्मी बहुत है .... 

Added by Amod Kumar Srivastava on June 25, 2015 at 7:20am — 5 Comments

खेल और उसका खेला

 शाम हो रही है 

सूरज का तेज अब 

मध्यम होता जा रहा है 

शाम और खेल 

का बड़ा अनूठा 

सायोंग है 

अब बस याद ही है 

खेल और उसका खेला की 

एक खेल था 

ऊंच-नीच 

समान्यतः यह खेल घर

के आँगन मे ही 

खेलते थे, चबूतरे पर 

नाली की पगडंडियों पर 

हम सब ऊपर रहते थे 

और चोर नीचे 

हमे अपनी जगह बदलनी होती थी

और चोर को हमे छूना होता था 

अगर छु लिया तो 

चोर हमे बनना होता था 

बड़ा…

Continue

Added by Amod Kumar Srivastava on June 19, 2015 at 8:43pm — 4 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी रिश्तों पर आधारित आपकी दोहावली बहुत सुंदर और सार्थक बन पड़ी है ।हार्दिक बधाई…"
7 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"तू ही वो वज़ह है (लघुकथा): "हैलो, अस्सलामुअलैकुम। ई़द मुबारक़। कैसी रही ई़द?" बड़े ने…"
20 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"गोष्ठी का आग़ाज़ बेहतरीन मार्मिक लघुकथा से करने हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह…"
21 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आपका हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आ. भाई मनन जी, सादर अभिवादन। बहुत सुंदर लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"ध्वनि लोग उसे  पूजते।चढ़ावे लाते।वह बस आशीष देता।चढ़ावे स्पर्श कर  इशारे करता।जींस,असबाब…"
Sunday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"स्वागतम"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. रिचा जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अमित जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service