2122 2122 2122 212
दूरियां नजदीकियां बन तो गयी हैं आजकल
पास रहते लोग से हम दूर कितने हो गए
माँ पिता सारे मरासिम गुम हुए इस दौर में
रोटियों के फेर में मजबूर कितने हो गए
भूल जाओगे मुझे तुम एक दिन मालूम था
इश्क में मेरे मगर मशहूर कितने हो गए
पत्थरों पर सर पटककर फायदा कोई नहीं
उसके दर पर ख्वाब चकनाचूर कितने हो गए
रात काली नागिनों सी डस रही है आजकल
हमनशीं थे कल तलक मगरूर…
ContinueAdded by Neeraj Neer on June 24, 2018 at 11:35am — 20 Comments
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