२२१/२१२१/१२२१/२१२
*
पढ़ लिख गये हैं और जहालत के दिन गये
लेकिन इसी के साथ रिवायत के दिन गये।१।
*
जितने भी संगदिल थे तराशे गये बहुत
लेकिन न इतने भर से कयामत के दिन गये।२।
*
हर छोटी बात अब तो है तकरार का विषय
इस से समझ लो आप मुहब्बत के दिन गये।३।
*
साया गया जो बाप का क्या कुछ छिना न पूछ
उस की समझ खुली है शरारत के दिन गये।४।
*
बाँटा गया अनाज यूँ दो- चार - दस किलो
उस पर कहन कि आज से गुरबत के दिन गये।५।…
Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on June 30, 2023 at 7:30pm — 2 Comments
आँगन में जब शूल के, हँसते हों नित फूल
अच्छे दिन का आगमन, समझो है अनुकूल।।
*
सुख चलते हों नित्य जब, लेकर टूटे पाँव
रंगत कैसे प्राप्त हो, अभिलाषा के गाँव।।
*
दुख की तपती धूप में, जलते सुख के पाँव
कैसे फिर बोलो मिले, अभिलाषा को छाँव।।
*
गिरकर भी सँभले नहीं, जो भी जन सौ बार
कब ईश्वर भी कर सके, आ उन का उद्धार।।
*
जीया मीठी बातकर, जो जीवन पर्यन्त
या तो वो शातिर बहुत, या फिर सीधा सन्त।।
*
मौलिक -अप्रकाशित
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on June 30, 2023 at 3:42pm — No Comments
जीवन दाता ने रचा, जीवन बड़ा अनन्त
मिट्टी से आरम्भ कर, मिट्टी से दे अन्त।१।
*
मिट्टी में उपजे फसल, भरे सभी का पेट
मिले इसी से जिन्दगी, मिट्टी को मत मेट।२।
*
मिट्टी बढ़कर स्वर्ण से, सदा लगाओ भाल
केवल मिट्टी ही यहाँ , सब को सकती पाल।३।
*
जन्म, ब्याह, पूजा, मरण, कर मिट्टी की बात
कहते फिर भी लोग नित, घट मिट्टी की जात।४।
*
मिट्टी को घट बोलकर, रखते स्वर्ण सँभाल
पर मिट्टी को ही चलें, जग में चाल कुचाल।५।
*
करते पंछी पेड़ सब, मिट्टी का…
Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on June 25, 2023 at 8:31pm — No Comments
जो भी घटता घाट पर, सिर्फ समय का खेल
बाँकी जो भी जन करें, सब कुछ तुक का मेल।१।
*
कहता है सारा जगत, समय बड़ा बलवान
इसीलिए वह माँगता, हरपल निज सम्मान।२।
*
चाहे जितना आप दो, दौड़ भाग को तूल
कर्म जरूरी है मगर, फले समय अनुकूल।३।
*
जो भी छाया धूप है, या फिर कीर्ति कलंक
समय बनाता भूप है, और समय ही रंक।४।
*
सच कहते हैं सन्त जन, नहीं समय से खेल
समय करेगा खेल जब, नहीं सकेगा झेल।५।
*
मौलिक/अप्रकाशित
लक्ष्मण धामी…
Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on June 21, 2023 at 6:50pm — 2 Comments
2024
2023
2022
2021
2020
2019
2018
2017
2016
2015
2014
2013
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |