२१२ २१२२ २१२२
आग पर आप भी इक दिन चलेंगे
मेरे अहसास जब तुम में उगेंगे
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फूल सा तन महकने ये लगेगा
याद में रातदिन जब दिल जलेंगें
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चाँद सा रूप निखरेगा सुनहरा
इश्क की धूप में गर जो तपेंगें
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आइना बातें भी करने लगेगा
यूँ घड़ी दो घड़ी पे गर सजेंगे
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रातभर रतजगे आँखें करेंगी
सुबहों-शाम आप भी रस्ता…
ContinueAdded by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on July 31, 2015 at 7:48pm — 6 Comments
२२१२ २२१२ २२
फ़रियाद ये मेरी सुनो कोई
दो इश्क में मुझको डबो कोई
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सात आसमां पार उनका गर है शह्र
कू-ए-सनम ही ले चलो कोई
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है दोजखो जन्नत मुहब्बत में
आशिक हो पर शायर न हो कोई
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जाने गज़ल तुम मुझको दो थपकी
बरसों न पाया मुझमें सो कोई
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‘जान’ आखिरी वख्त अपना जाने कौन?
लो प्रीत के मनके पिरो कोई
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जीने की ख्वाहिश फिर न जाग उट्ठे
मरता हूँ नाम उस का न लो…
ContinueAdded by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on July 12, 2015 at 9:30am — 11 Comments
२१२२ २२१२ २१२२ २२
अब जो जायेंगे उस गली तो सबा छेड़ेगी
वारे उल्फ़त! मुझको मेरी ही वफ़ा छेड़ेगी
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जिसको आँखों में भरके फिरते थे हम इतराते
हाय जालिम तेरी कसम वो अदा छेड़ेगी
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जो गुजरते हर एक दर पे थी हमने मांगी
राह में मिलके मुझसे वो हर दुआ छेड़ेगी
..
वो जो बातें ख्यालों की ही रह गई बस होकर
बेसबब बेवख्त आ मुद्दा बारहा छेड़ेगी
..
सुनते ही जिसको तुम चले आते थे दौड़े
हाँ…
ContinueAdded by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on July 1, 2015 at 6:00pm — 25 Comments
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