दूर मंजिल कब मिलेगी रास्ता कोई नहीं,
वो मुसाफिर हूँ कि जिसका रहनुमा कोई नहीं.
आशिकी में जो बने हैं आज मजनू देखिये,
है अजब ये चीज उल्फत खुशनुमा कोई नहीं.
दोस्ती से दिल मिला लो सामने है आइना,
दुश्मनी को दूर रक्खो है मज़ा कोई नहीं .
वो जो आये हैं यहाँ पर खिल गया…
Added by Er. Ambarish Srivastava on July 27, 2011 at 10:30pm — 8 Comments
Added by Er. Ambarish Srivastava on July 7, 2011 at 2:00am — 8 Comments
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