१२२ १ २२ १२२ १२
समंदर मिलेगा नदी तो बनो
मिलेगा खुदा आदमी तो बनो
अँधेरा मिटेगा अभी के अभी
जलो तुम जरा रौशनी तो बनो
तुम्हें भी मिलेगी ख़ुशी एक दिन
कभी तुम किसी की ख़ुशी तो बनो
करो गर मुहब्बत तो ऐसे करो
किसी की कभी जिंदगी तो बनो
जो भी चाहिए दूसरों से तुम्हें
खुदा के लिए तुम वही तो बनो
नीरज कुमार नीर
(मौलिक एवं अप्रकाशित)
Added by Neeraj Neer on July 8, 2017 at 3:34pm — 5 Comments
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