For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s Blog – July 2018 Archive (3)

होती नहीं  है भोर - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

२२१ २१२१ २२२  १२१२



कहते  नहीं  हैं  आपसे  रस्ता  सुझाइये

राहों में  यूँ  न   देश  की  रोड़ा लगाइये।१।



आता है भेड़िया तो कुछ हरकत दिखाइये

कमजोर गर  ये  हाथ  हैं  हल्ला  मचाइये।२।



कहते हो दूसरों की  है  सूरत अगर मगर

खुद को भी रोशनी में ये दर्पण दिखाइये।३।



होती नहीं  है भोर इक सूरज उगे से ही

गर देखनी हो भोर तो खुद को जगाइये।४।



बातों को दिल की रोज  ही ऐ …

Continue

Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on July 7, 2018 at 12:00pm — 13 Comments

रहमत में हरम मागा- लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

२२१ १२२२ २२१ १२२२



जितना भी सनम माँगा यूँ हमने है कम माँगा

मरने की नहीं हिम्मत जीने का ही दम माँगा।१।



होते ही सवेरा  नित  साया  भी डराता है

घबरा के उजाले से यूँ रात का तम माँगा।२।



सुनते हैं सभी कहते कम अक्ल हमें लेकिन

खुशियों में अकेले थे इस बात से गम माँगा।३।



चौपाल से बढ़ शायद महफूज लगा हो कुछ

ऐसे  ही  नहीं  उसने  रहमत  में  हरम माँगा।४।



ऐसे ही  नहीं  शबनम  पड़  जाती है रातों को

धरती का रह इक कोना…

Continue

Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on July 5, 2018 at 6:30am — 16 Comments

कैसे अजब हैं लोग जो - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

२२१ /२१२१ /२२२  /१२१२

खासों से बढ़ के  खास यूँ होते हैं आम भी

जिसने समझ लिया उसे मिलते हैं राम भी।१।



कैसे अजब हैं लोग जो कहते हैं यार ये

बदनामियों के साथ ही होता है नाम भी।२।



आती है जिसको भोर यूँ झट से अगर कहीं

ढलती है  उसकी  दोस्तो  ऐसे ही शाम भी।३।



अभिषेक हो रहा है अब सुनते शराब से

करने लगी हवस पतित देवों का धाम भी।४।



जब से गमों …

Continue

Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on July 3, 2018 at 7:35pm — 21 Comments

Monthly Archives

2025

2024

2023

2022

2021

2020

2019

2018

2017

2016

2015

2014

2013

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"तू ही वो वज़ह है (लघुकथा): "हैलो, अस्सलामुअलैकुम। ई़द मुबारक़। कैसी रही ई़द?" बड़े ने…"
2 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"गोष्ठी का आग़ाज़ बेहतरीन मार्मिक लघुकथा से करने हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह…"
2 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आपका हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी।"
14 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आ. भाई मनन जी, सादर अभिवादन। बहुत सुंदर लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
16 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"ध्वनि लोग उसे  पूजते।चढ़ावे लाते।वह बस आशीष देता।चढ़ावे स्पर्श कर  इशारे करता।जींस,असबाब…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"स्वागतम"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. रिचा जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अमित जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई रवि जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service