२२१ २१२१ २२२ १२१२
कहते नहीं हैं आपसे रस्ता सुझाइये
राहों में यूँ न देश की रोड़ा लगाइये।१।
आता है भेड़िया तो कुछ हरकत दिखाइये
कमजोर गर ये हाथ हैं हल्ला मचाइये।२।
कहते हो दूसरों की है सूरत अगर मगर
खुद को भी रोशनी में ये दर्पण दिखाइये।३।
होती नहीं है भोर इक सूरज उगे से ही
गर देखनी हो भोर तो खुद को जगाइये।४।
बातों को दिल की रोज ही ऐ …
Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on July 7, 2018 at 12:00pm — 13 Comments
२२१ १२२२ २२१ १२२२
जितना भी सनम माँगा यूँ हमने है कम माँगा
मरने की नहीं हिम्मत जीने का ही दम माँगा।१।
होते ही सवेरा नित साया भी डराता है
घबरा के उजाले से यूँ रात का तम माँगा।२।
सुनते हैं सभी कहते कम अक्ल हमें लेकिन
खुशियों में अकेले थे इस बात से गम माँगा।३।
चौपाल से बढ़ शायद महफूज लगा हो कुछ
ऐसे ही नहीं उसने रहमत में हरम माँगा।४।
ऐसे ही नहीं शबनम पड़ जाती है रातों को
धरती का रह इक कोना…
Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on July 5, 2018 at 6:30am — 16 Comments
२२१ /२१२१ /२२२ /१२१२
खासों से बढ़ के खास यूँ होते हैं आम भी
जिसने समझ लिया उसे मिलते हैं राम भी।१।
कैसे अजब हैं लोग जो कहते हैं यार ये
बदनामियों के साथ ही होता है नाम भी।२।
आती है जिसको भोर यूँ झट से अगर कहीं
ढलती है उसकी दोस्तो ऐसे ही शाम भी।३।
अभिषेक हो रहा है अब सुनते शराब से
करने लगी हवस पतित देवों का धाम भी।४।
जब से गमों …
Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on July 3, 2018 at 7:35pm — 21 Comments
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