शिक्षा संस्थाओं के
हाल आज और हैं
छात्र यूनियनों में
लड़ाई के दौर हैं
शिक्षालय आज
राजनीति के अड्डे हैं
कमाई,चुनाव के
थ॓धों पर थंधे हैं
फैली अराजकता
अलग -अलग झंडे हैं
परिसर में घूमते
दलालों के पंडे हैं
मौलिक एवं अप्रकाशित
Added by Usha Awasthi on August 4, 2018 at 10:30am — No Comments
पूर्णतया शिक्षा को गुरू समर्पित थे
कंद,मूल,फल,बिना जोता अन्न खाते थे
पठन -पाठन को समय बचाते थे
तभी तो गुरुजन श्रृषि कहलाते थे
गुरुकुल के प्राँगण में व्यर्थ वाद वर्जित था
गुरू ज्ञान-धारा से हर छात्र सिंचित था
चरणों में उनके नतमस्तक हो जाते थे
तभी तो गुरुजन श्रृषि कहलाते थे
राजा उनसे मिलने गुरुगृह जब जाते थे
आयुध अपने बाहर रख अन्दर आते थे
उलझनें शासन की,उन स॔ग सुलझाते थे
तभी तो गुरुजन श्रृषि कहलाते थे
मौलिक एव॔…
Added by Usha Awasthi on August 4, 2018 at 10:30am — 8 Comments
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