कलाधर छन्द
शारदे समग्र काव्य में विचार भव्यता कि
सत्यता उघार के कुलीन भाव मन्त्र दें।
शब्द शब्द सावधान अर्थ की विवेचना
करें विशुद्ध भाव से सुताल छन्द तंत्र दें।।
व्यग्रता सुधार के विनम्रता सुबुद्धि ज्ञान
मान के समस्त मानदण्ड के सुयंत्र दें।
आप ही कमाल वाह वाह की विधायिनी
सुभाषिनी प्रवाह गद्य पद्य में स्वतन्त्र दें।।
मौलिक व अप्रकाशित
रचनाकार . .केवल प्रसाद सत्यम
Added by केवल प्रसाद 'सत्यम' on August 28, 2016 at 10:37am — 6 Comments
मुक्तक
जिसेे भी देखिये नख शिख तलक मानव नही लगता।
लिए बम वासना शमसीर हक मानव नही लगता।।
मुसीबत ने यहाँ मुफ़लिस किसानो को रुलाया है. .
बड़ी ताकत कहूं जो यार तक मानव नही लगता।।
मौलिक व अप्रकाशित
Added by केवल प्रसाद 'सत्यम' on August 11, 2016 at 5:06pm — 3 Comments
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