Added by Manan Kumar singh on August 31, 2015 at 5:38pm — 2 Comments
2212 2122
मूरत बनी रंग भरते!
दोस्ती निभा दंग करते!
कोई बना कुछ रहा अब
कुछ तो नियम भंग करते।
उनकी कथा क्या कहूँ अब
हिन्दी हसीं तंग करते।
लिखते अलिपि आँख मूँदे
सब रंग बद रंग करते।
वह तो खड़ी, है भरी वह,
वे छेड़ क्यूँ अंग करते?
"मौलिक व अप्रकाशित"@ मनन
खड़ी=खड़ीबोली
छेड़=छेड़छाड़
अलिपि=लिपि से बाहर
Added by Manan Kumar singh on August 23, 2015 at 10:30pm — 8 Comments
Added by Manan Kumar singh on August 17, 2015 at 10:00am — 8 Comments
Added by Manan Kumar singh on August 11, 2015 at 9:30am — 4 Comments
Added by Manan Kumar singh on August 9, 2015 at 12:03pm — 7 Comments
Added by Manan Kumar singh on August 8, 2015 at 6:00pm — 3 Comments
Added by Manan Kumar singh on August 4, 2015 at 8:30pm — 10 Comments
Added by Manan Kumar singh on August 1, 2015 at 9:38am — 2 Comments
Added by Manan Kumar singh on August 1, 2015 at 8:30am — 6 Comments
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