ग़ज़ल
1212 2121 1212 122
चला जाऊँगा जहाँ से तुम्हें सँवार कर के
तुम्हारी इन ख़ामियों को कहीं निखार कर के
नवाज़ा मुझको ख़ुदा ने वो अज़्म धार कर के
बुलंदी बख़्शी है उस ने ग़ज़ल बहार कर के
बड़े बड़ो को दिखाया है आइना ख़ुदा ने
निकाल दी हैंकड़ी भी उन्हें सुधार कर के
वो चोर मौसेरे भाई हैं बागबाँ चहेते
उन्हें गिरा दो निगाह से दोस्त ख़ार कर के
बहार सावन की आयी कली- कली खिली है
कि हो…
Added by Chetan Prakash on August 28, 2023 at 2:30pm — No Comments
221 2121 1221 212
अच्छा हो तुम पढ़ो ये ग़ज़ल दोस्त ध्यान से
मैंने कहा है इसको बड़े मान - कान से
हम राह में बढेंगे तो मंज़िल मिलेगी ही
मक़सद भी होगा पूरा जियें आन - बान से
हर शख़्स बदहवास अभी भागता शहर
हलकान ज़िन्दगी में है वो खान - पान से
अवसाद इस सदी की समस्या जनाब है
तनहाई मारती रही इनसान जान से
अनजान है ज़माना अभी शोध चाँद पर
आग़ाज भारती हुआ इस बार शान से
आदम…
ContinueAdded by Chetan Prakash on August 24, 2023 at 9:18am — No Comments
मोरा साजन छूटो जाय
सखी री मैं जाऊँ न पीहरवा..
पपीहा करत है पी हू पी हू
मोहे जोबन विरह हो जाय
सखी री मै जाऊँ न पीहरवा...!
कोयल बोलै कुूहू कुहू बागन में
मोरा सावन सूखौ जाय
सखी री मै जाऊँ न पीहरवा...!
नाचत मोर बदरिया बरसत है
मोरा आँगन बिसरौ जाय
सखी री मैं जाऊँ न पीहरवा..!
मरौ ददुरवा बूँद पी रह जाय
लो सोवत रहत साल भर वो तो
मो पै बिन पिया…
Added by Chetan Prakash on August 21, 2023 at 2:30pm — 1 Comment
212 1222 212 1222
दिलजले लगे हैं फिर घर नया बसाने में
रह गये हैं वो खुद पीछे हमें उठाने में
रतजगे कई होते दोस्त घर बनाने में
भारती बहा है खूँ फिर इसे बसाने में
राह भटके रहबर अब ख़ुदगर्ज़ हुए हैं वो
बेलगाम होकर याँ व्यस्त घर लुटाने में
बाँट कर हुकूमत ने साधे स्वार्थ अपने हैं
पर लगे ज़माने उसको हमें जगाने में
भुखमरी ग़रीबी हटती नहीं हटाने से
बढ़ रही अमीरी उल्टा उसे भगाने…
Added by Chetan Prakash on August 16, 2023 at 8:30am — 2 Comments
ग़ज़ल
1212 1212 1212 1212
सुनो पुकार राष्ट्र की बढ़े चलो सुजान से
मिटेंगे अंथकार के निशाँ बढ़ो सुजान से
निशाना चूक जाए ना बचे रहो सुजान से
वो सारा देश देखता तुम्हें, चलो सुजान से
रहेगा नाम वीरों का किताबों में रिसालों में
मरो तो देश के लिये सखा जियो सुजान से
हमें जहाँ को देना है नहीं किसी से लेना है
ऐसा विचार हो कहीं सही पढ़ो सुजान से
निशान छोड़ जाओ कोई वक़्त की शिलाओं…
ContinueAdded by Chetan Prakash on August 14, 2023 at 2:30pm — 2 Comments
कौन बाँधे तू बता, बिल्ली ...घंटी आज ।
चूहों की बारात है, गधों के सर स्वराज।।
ग़ज़ल की बज़्म है सजा, चूहों.. का दरबार ।
कहते कलाम... शोहदे, होते ....हाहाकार ।।
रोबोट हो गये सखा, सच के पैरोकार ।
शेर हथेली पीटते, करते हैं जयकार ।।
अब तो शिकार हो रहे, शायर मंच विकार ।
रीमोट, सिद्ध बन गये, ग़ज़ल कहें..दरबार ।।
बनते मूर्ख बुद्ध यहाँ, फँसे हैं वाग्जाल ।
कौन यहाँ है पूछता, मरहूम…
Added by Chetan Prakash on August 3, 2023 at 12:00pm — No Comments
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