For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Sushil Sarna's Blog – August 2024 Archive (11)

दोहा त्रयी .....वेदना

दोहा त्रयी. . . . वेदना

धीरे-धीरे ढह गए, रिश्तों के सब दुर्ग ।
बिखरे घर को देखते, घर के बड़े बुजुर्ग ।।

विगत काल की वेदना, देती है संताप ।
तनहा आँखों का भला , सुनता कौन विलाप ।।

बहुत छुपाया हो गई, व्यक्त उमर की पीर ।
झुर्री में रुक रुक चला, व्यथित नयन का नीर ।।

सुशील सरना / 28-8-24

मौलिक एवं अप्रकाशित 

Added by Sushil Sarna on August 28, 2024 at 2:00pm — 2 Comments

दोहा पंचक. . . प्रेम

दोहा पंचक. . . . प्रेम

प्रेम चेतना सूक्ष्म की, प्रेम प्रखर आलोक ।

प्रेम पृष्ठ है स्वप्न का, प्रेम न बदले मोक । ।

( मोक = केंचुल )

प्रेम स्वप्न परिधान है, प्रेम श्वांस की शान ।

प्रेम अमर इस भाव के , मिटते नहीं निशान ।।

प्रेम न माने जीत को, प्रेम न माने हार  ।

जीवन देता प्रेम को, एक शब्द स्वीकार ।।

प्रेम सदा निष्काम का , मिले सुखद  परिणाम ।

दूषित करती वासना, इसके रूप तमाम ।।

अटल सत्य संसार का, अविनाशी है प्रेम ।

भाव…

Continue

Added by Sushil Sarna on August 25, 2024 at 3:30pm — No Comments

दोहा पंचक. . . . . असली - नकली

दोहा पंचक .....  असली -नकली

हंस भेस में आजकल, कौआ बाँटे ज्ञान ।

पीतल सोना एक से, कैसे हो पहचान ।।

अपनेपन की आड़ में, लोग निकालें बैर ।

कौन किसी के वास्ते,  आज माँगता खैर ।।

अच्छी लगती झूठ की, वर्तमान में छाँव ।

चैन मगर मिलता वहाँ, जहाँ सत्य  की ठाँव ।।

धोखा देती है बहुत, अधरों की मुस्कान ।

मन में क्या है भेद कब, होती यह पहचान ।।

रिश्तों में  बुझता नहीं, अब नफरत  का दीप ।

दुर्गंधित जल में नहीं, मिलते मुक्ता सीप…

Continue

Added by Sushil Sarna on August 23, 2024 at 4:41pm — 2 Comments

दोहा पंचक. . . . .बारिश का कह्र

दोहा पंचक. . . . . बारिश का कह्र

अविरल होती बारिशें, अब देती हैं घाव ।

बारिश में घर बह गए, शेष नयन में स्राव ।।

निर्मम बारिश ने किया, निर्धन का वो हाल ।

झोपड़ की छत उड़ गई, जीवन बना सवाल ।।

अस्त- व्यस्त जीवन हुआ, बारिश से चहुँ ओर ।

जन जीवन नुकसान से, भीगे मन के छोर ।।

वर्षा का तांडव हुआ, बहे कई प्रासाद ।

शेष बचे अवशेष अब, बने भयंकर याद ।।

कैसे मंजर दे गया, बरसाती तूफान ।

जमींदोज पल में हुए , पक्के बड़े मकान…

Continue

Added by Sushil Sarna on August 22, 2024 at 3:00pm — No Comments

दोहा त्रयी .....रंग

दोहा त्रयी. . . रंग

दृष्टिहीन की दृष्टि में, रंगहीन सब रंग ।
सुख-दुख की अनुभूतियाँ, चलती उसके संग । ।

रंगों को मत दीजिए, दृष्टि भरम का दोष ।
अन्तस के हर रंग का, मन करता  उद्घोष ।।

खुली पलक में झूठ के, दिखते अनगिन रंग ।
एक रंग रहता सदा, सच्चाई के संग ।।

सुशील सरना / 20-8-24

मौलिक एवं अप्रकाशित 

Added by Sushil Sarna on August 20, 2024 at 4:33pm — No Comments

दोहा पंचक. . . . विविध

दोहा पंचक. . . . . विविध

जीवन के अनुकूल कब, होते हैं हालात ।

अनचाहे मिलते सदा, जीवन में आघात ।।

अपना जिसको मानते, वो देता आघात ।

पल- पल बदले केंचुली ,यह आदम की जात ।।

कहने को हमदर्द सब, पूछें अपना हाल ।

वक्त पड़े तो छोड़ते, हाथों को तत्काल ।।

इच्छा के अनुरूप कब, जीवन चलता चाल ।

सौम्य वेश में पूछता, उत्तर रोज सवाल ।।

मीलों चलते साथ में, दे हाथों में हाथ ।

अनबन थोड़ी क्या हुई, तोड़ा जीवन साथ ।।

सुशील…

Continue

Added by Sushil Sarna on August 16, 2024 at 8:37pm — 4 Comments

दोहा पंचक. . . . .परिवार

दोहा पंचक. . . . . परिवार

साँझे चूल्हों के नहीं , दिखते अब परिवार ।

रिश्तों में अब स्वार्थ की, खड़ी हुई दीवार ।।

पृथक- पृथक चूल्हे हुए, पृथक हुए परिवार ।

आँगन से ओझल हुए, खुशियों के त्यौहार ।

टुकड़े -टुकड़े हो गए, अब साँझे परिवार ।

इंतजार में बुझ गए, चूल्हों  के  अंगार ।।

दीवारों में खो गए, परिवारों के प्यार ।

कहाँ  गए वो कहकहे, कहाँ गए विस्तार ।।

सूना- सूना घर लगे, आँगन लगे उदास ।

मन को कुछ भाता नहीं,  रहे न अपने पास …

Continue

Added by Sushil Sarna on August 9, 2024 at 9:59pm — 4 Comments

दोहा पंचक. . . . ख्वाब

दोहा पंचक. . . . . ख्वाब(नुक्ते रहित सृजन )

कातिल उसकी हर अदा, कमसिन उसके ख्वाब ।

आतिश बन कर आ गया, भीगा हुआ शबाब ।।

रुक -रुक कर रुख पर गिरी, सावन की बरसात ।

छुप-छुप कर करती रही, नजर जिस्म से बात ।।

बार - बार गिरती रही, उड़ती हुई नकाब ।

प्यासी नजरों देखतीं, जैसे हसीन ख्वाब ।।

खड़ा रहा बरसात में  , भीगा एक शबाब  ।

रह - रह के होती रही, आशिक नज़र खराब ।।

भीगी बाला से हुआ, नजरों का संवाद ।

ख्वाबों से वो कर गई, इस दिल को आबाद…

Continue

Added by Sushil Sarna on August 4, 2024 at 3:46pm — No Comments

दोहा सप्तक. . . . . मोबाइल

दोहा सप्तक. . . . . मोबाइल

मोबाइल ने कर दिया, सचमुच बेड़ा गर्क ।

निजता पर देने लगे, युवा अनेकों तर्क । ।

मोबाइल के जाल में, उलझ गया संसार ।

सच्चा रिश्ता  अब यही , बाकी सब बेकार ।।

संवादों का बन गया, मोबाइल संसार ।

सांकेतिक रिश्ते हुए, बौना सच्चा प्यार ।।

प्यार जताने के सभी, बदल गए हालात ।

मोबाइल पर साजना , दर्शन दे साक्षात ।

मोबाइल पर कीजिए, चाहे घंटों बात ।

पत्नी की मत भूलना,पर लाना सौगात ।।

मोबाइल के भूत ने, रिश्ते किये…

Continue

Added by Sushil Sarna on August 3, 2024 at 8:29pm — No Comments

दोहा पंचक. . . . तूफान

दोहा पंचक. . . . . तूफान

चार कदम पर जिंदगी, बैठी थी चुपचाप ।

बारिश के संहार पर,करती बहुत विलाप ।।

रौद्र रूप बरसात का, लील गया सुख - चैन ।

रोते- रोते दिन कटा, रोते -रोते रैन ।।

कच्चे पक्के झोंपड़े , बारिश गई समेट ।

जन - जीवन तूफान के, चढ़ा वेग की भेंट ।।

मंजर वो तूफान का, कैसे करूँ बयान ।

खौफ मौत का कर गया,  आँखों को वीरान ।।

उड़ जाऐंगे होश जब, देखोगे तस्वीर ।

देख बाढ़ का  दृश्य वो , गया कलेजा चीर ।

सुशील सरना /…

Continue

Added by Sushil Sarna on August 2, 2024 at 9:19pm — 4 Comments

दोहा सप्तक. . . . सावन

दोहा सप्तक . . . . सावन

सावन में  अच्छी नहीं, आपस की तकरार ।

प्यार जताने के लिए, मौसम हैं दो चार ।।

बरसे मेघा झूम कर, खूब हुई बरसात ।

बाहुबंध में बीत गई, भीगी-भीगी रात ।।

गगरी छलकी नैन की, जब बरसी बरसात।

कैसे बीती क्या कहूँ, बिन साजन  के  रात।।

थोड़े    से   जागे    हुए, थोड़े   सोये   नैन ।

हर करवट पर धड़कनें, रहती हैं बैचैन ।।

बिन साजन सूनी लगे, सावन वाली रात ।

सुधि   सागर   ऐसे   बहे, जैसे बहे प्रपात ।।

 जितनी बरसें…

Continue

Added by Sushil Sarna on August 1, 2024 at 3:34pm — No Comments

Monthly Archives

2025

2024

2023

2022

2021

2020

2019

2018

2017

2016

2015

2014

2013

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
yesterday
anwar suhail updated their profile
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। पति-पत्नी संबंधों में यकायक तनाव आने और कोर्ट-कचहरी तक जाकर‌ वापस सकारात्मक…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब। सोशल मीडियाई मित्रता के चलन के एक पहलू को उजागर करती सांकेतिक तंजदार रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार।‌ रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर रचना के संदेश पर समीक्षात्मक टिप्पणी और…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब।‌ रचना पटल पर समय देकर रचना के मर्म पर समीक्षात्मक टिप्पणी और प्रोत्साहन हेतु हार्दिक…"
Nov 30
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, आपकी लघु कथा हम भारतीयों की विदेश में रहने वालों के प्रति जो…"
Nov 30
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मनन कुमार जी, आपने इतनी संक्षेप में बात को प्रसतुत कर सारी कहानी बता दी। इसे कहते हे बात…"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service