ऐ ख़ुदा दिल को क्या हुआ है ये
किसकी चाहत में खो गया है ये
पेट में तितलियाँ सी उड़ती हैं
इश्क़ की क्या ही इब्तिदा है ये
याद-ए-जानाँ तो है दवा है गोया
दिल-ए-मुज़्तर का आसरा है ये
कौन सुन पायेगा मेरे दिल की
दिल-ए-सोज़ाँ तो बे-सदा है ये…
Added by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on September 23, 2022 at 9:48am — 6 Comments
1212 / 1122 / 1212 / 22(112)
तुम्हारी एक अदा पर ही मुस्कराने की
लगी है शर्त सितारों में जगमगाने की
तुम्हारे आने से फिर लौट आई है रौनक़
भुला चुके थे अदा लब तो मुस्कुराने की
तुम्हीं ने आ के ये वीराना कर दिया रौशन
तमन्ना थी न ज़रा हमको झिलमिलाने की
छुपा लूँ आओ तुम्हें मैं इन्हीं निगाहों में
नज़र लगे न कहीं तुम को इस ज़माने की
तड़प रहा है मेरी याद में मेरा मोहसिन
सिखा के कारीगरी…
ContinueAdded by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on September 17, 2022 at 1:12pm — 6 Comments
1212 / 1122 / 1212 / 22
उठाओ जितनी भी चाहे क़सम ज़माने की
निकल सकेगी न हसरत हमें मिटाने की
जहाँ ये सारा हमारा वतन रहेगा, सुनो
हमारे वास्ते गर्दिश है सब ज़माने की
जिसे भी देखिये पत्थर लिये हुए है वो
करेगा बात यहाँ कौन दिल मिलाने की
तड़प के ख़ुद ही मेरी राह पर पड़ा है वो
बना रहा था जो बातें मुझे भुलाने की
जिसे भी देखिये वो होश-मंद है यारो
सुनेगा कौन यहाँ बात फिर दिवाने…
ContinueAdded by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on September 15, 2022 at 5:16pm — 5 Comments
2122 - 1122 - 1122 - 112/(22)
दिल धड़कने की सदा ऐसी भी गुमसुम तो न थी
इतनी बे-परवा मेरी जान कभी तुम तो न थी
हम तड़पते ही रहे तुम को न अहसास हुआ
अपनी उल्फ़त की कशिश इतनी सनम कम तो न थी
सब ने देखा मेरी आँखों से बरसता सावन
थी वो बरसात बड़े ज़ोरो की रिम-झिम तो न थी
तुम जिसे ज़ीनत-ए-गुल समझे थे अरमान मेरे
गुल पे क़तरे थे मेरे अश्कों के शबनम तो न थी
क्यूँ न आहों ने मेरी आ के तेरे दिल को…
ContinueAdded by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on September 6, 2022 at 11:02pm — 21 Comments
122 - 122 - 122 - 122
वो गर हमसे नज़रें मिलाने लगेंगे
रक़ीबों पे बिजली गिराने लगेंगे
ये लकड़ी है गीली उठेगा धुआँ ही
सुलगने में इसको ज़माने लगेंगे
करोगे जो बातें बिना पैर-सर की
कई इनमें फिर शाख़साने लगेंगे
उमीदों को जिसने न मरने दिया हो
हदफ़ पर उसी के निशाने लगेंगे
तेरी शाइरी से परेशाँ हैं जो-जो
तेरी नज़्में ख़ुद गुनगुनाने लगेंगे
ये जो बात तुमने कही है बजा…
ContinueAdded by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on September 6, 2022 at 10:11pm — 4 Comments
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |