Added by shikha kaushik on September 30, 2012 at 9:49pm — 3 Comments
संघर्ष में आनंद है जो कामयाबी में कहाँ !
दर्द में जो बात है वो बात राहत में कहाँ !
मुद्दा कोई उलझा रहे चलती रहें बस अटकलें ,
जो मज़ा उलझन में है वो सुलझने में कहाँ !
Added by shikha kaushik on September 28, 2012 at 5:00pm — 5 Comments
(साभार गूगल से) |
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भूतल में समाई सिया उर कर रहा धिक्कार
पितृ सत्ता के समक्ष लो राम गया हार !
देवी अहिल्या को लौटाया नारी का सम्मान
अपनी सिया का साथ न दे पाया किन्तु राम
है वज्र सम ह्रदय मेरा करता हूँ मैं स्वीकार !
पितृ सत्ता के समक्ष ........
वध किया अनाचारी का…
Added by shikha kaushik on September 19, 2012 at 7:30am — 8 Comments
सात कांड में रची तुलसी ने ' मानस ' ;
आठवाँ लिखने का क्यों कर न सके साहस ?
आठवे में लिखा जाता सिया का विद्रोह ;
पर त्यागते कैसे श्री राम यश का मोह ?
लिखते…
Added by shikha kaushik on September 4, 2012 at 3:00pm — 15 Comments
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