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Shikha kaushik's Blog – September 2012 Archive (4)

जब वचन निभाने राम चले ....

जब वचन  निभाने राम चले ....
जब वचन  निभाने राम चले ,
संग सिया चली और लखन चले,
दशरथ के प्राणाधार चले ,
कौशल्या के अरमान चले 
जब वचन ......
 
जिस आँगन में खेले राघव ,
घुटनों के…
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Added by shikha kaushik on September 30, 2012 at 9:49pm — 3 Comments

दर्द में जो बात है वो बात राहत में कहाँ !

संघर्ष में आनंद है जो कामयाबी में कहाँ !

दर्द में जो बात है वो बात राहत में कहाँ !



मुद्दा कोई उलझा रहे चलती रहें बस अटकलें ,

जो मज़ा उलझन में है वो सुलझने में कहाँ !



ज़िंदगी की मुश्किलों से रोज़ टकराते रहें ,

ज़िंदगी के साथ है सब मौत आने पर कहाँ !



बरसो बाद दोस्त मिला दिल को मिली कितनी ख़ुशी !

ये गर्मजोशी ,शिकवे ,गिले रोज़ मिलने में कहाँ !



हमको सुकून की नहीं हमें कशमकश की चाह ,

जो…
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Added by shikha kaushik on September 28, 2012 at 5:00pm — 5 Comments

पितृ सत्ता के समक्ष लो राम गया हार !

(साभार गूगल से)

.

भूतल में समाई सिया उर कर रहा धिक्कार

पितृ सत्ता के समक्ष लो राम गया हार !



देवी अहिल्या को लौटाया नारी का सम्मान

अपनी सिया का साथ न दे पाया किन्तु राम

है वज्र सम ह्रदय मेरा करता हूँ मैं स्वीकार !

पितृ सत्ता के समक्ष ........



वध किया अनाचारी का…

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Added by shikha kaushik on September 19, 2012 at 7:30am — 8 Comments

मानस के रचनाकार में भी पुरुष अहम् भारी .

 [listen on shikhakaushik06  ]
 

Stamp on Tulsidas

सात कांड में रची तुलसी ने ' मानस ' ;

आठवाँ लिखने का क्यों कर न सके साहस ?



आठवे में लिखा जाता सिया का विद्रोह ;

पर त्यागते कैसे श्री राम यश का मोह ?



लिखते…

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Added by shikha kaushik on September 4, 2012 at 3:00pm — 15 Comments

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"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
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"सादर नमस्कार।‌ रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर रचना के संदेश पर समीक्षात्मक टिप्पणी और…"
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