For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

S.S Dipu's Blog – September 2016 Archive (13)

कौन बुरा लगता है

आजकल देखने मे
कौन बुरा लगता है,
रोता है वो फिर भी,
हंसता हुआ लगता है।
दिल में है दर्द
पलकें हैं भीगी हुयी,
कोई हमसे यूँ ही
रूठा हुआ लगता है।
डूबा हूँ पानी में
प्यासा हूँ बैठा हुआ
समन्दर भी मुझे अब
सूखा हुआ लगता है।
कौन यहाँ बिखरा गया
फूल और पतियों को,
पेड़ हर तरफ यहाँ ,
टूटा हुआ लगता है।
सब कुछ तो है घर की
दीवारों में सजा हुआ
आिशयाँ मेरा फिर भी
बिखरा हुआ लगता है।
मौलिक अप्रकाशित

Added by S.S Dipu on September 30, 2016 at 12:05am — 4 Comments

दीवारें

आज ना जाने

क्यों सहमी हुईं

है दीवारें

गरम

चाय का प्याला

लिया

ठंडी हवा का

लुत्फ़ लिया

देखा चाँद

की ओर

सब कुछ

स्याह सा लगा

काले बादल

इधर उधर

बिखरने को

मचल रहे थे

तेज़ हवाएँ

बेलगाम

चलने लगी

काँच की

खिड़की भी

छटपटाने

तड़पने लगी

तेज़ी से बिजली

चटकी

चादर में

मैं सिमट गयी

बुझी हुई

आँखों से

फिर देखा

दीवार की

तरफ़

दरारें बे हिसाब

थी… Continue

Added by S.S Dipu on September 28, 2016 at 9:45pm — 1 Comment

मेरे हिस्से की हँसी

तुम चुरा

ना लो

मेरे हिस्से की

हँसी

इस कारण

मुस्कुराना छोड़

दिया है

दर्द ना आँखों से

छलक पाएँ

पालकों

से आँखों को

सिया है

मन्नतें माँगी

नही फिर भी

बिन माँगे झोली

भरी देखी

कसाई बना है

वक़्त सभी का

आज़ादी पर

रोक

लगी देखी

बेपरवाह सब

घूम रहे

लगता नहीं

ये घर लौटेंगे

शहर में

घूम रहे भेड़िए

सचाई पर

बेड़ियाँ

लगी देखी

अपनापन पनपता

बाँटे किससे… Continue

Added by S.S Dipu on September 28, 2016 at 10:05am — 5 Comments

मंज़र बदल जाएगा

जॉन एफ केनेडी

ने कहा

कि यह मत पूछो

कि देश ने तुम्हारे

लिए क्या किया,

यह पूछो कि

तुमने देश के

लिए क्या किया?

इन शब्दों ने मेरे

जीने का अन्दाज़

ही बदल दिया है



मैं शिक्षक हूँ

क्या मैंने छात्रों

का मनोबल

बढ़ा लिया है

पूछूँ मैं

ख़ुद से अब

क्या

तनख़्वाह लेके

सही किया है ?

मैं बेचता हूँ

दूध पानी मिला

मिला के क्या

गाय का नाम

मैंने ही

मिटा रखा है ?

मैने बनके… Continue

Added by S.S Dipu on September 26, 2016 at 11:46pm — 1 Comment

मानवता

आज बलि चढ़
रही है मानवता
हर तरफ़
शहीद हुए जा
रही है सचाई
गुम हो गये
है प्यार के फूल
डरा के छुप
रही है परछायी
कौन है ज़िम्मेदार
दरंदगी के लहु का
हर ओर क्यूँ
हो रही लड़ाई
मौलिक अप्रकाशित

Added by S.S Dipu on September 25, 2016 at 12:24am — 6 Comments

सलीक़े जीने के

हर क़दम अपना
सलीक़े से उठा
रहा में फूल हैं
कम काँटें
हैं ज़्यादा
कुछ सोच के
मिला है तेरे
शहर का पता
राम हैं कम
यहाँ रावण
है ज़्यादा
किसी से
रही नही रंजिश
रखने की ताक़त
लकीरें हैं कम
ठोकर
हैं ज़्यादा
हंस के गुज़ार
लीजिए दो पल
जीने के
यहाँ उजाले
हैं कम बादल
हैं ज़्यादा
मौलिक अप्रकाशित

Added by S.S Dipu on September 24, 2016 at 1:28am — 5 Comments

ज़िंदगी अजीब होती जा रही है

ये ज़िंदगी

कितनी

अजीब होती

जा रही है

कैसे

हाथों से

निकलती

जा रही है

माथे पर सिंदूर

हुआ करता था

औरत का गहना

अब साड़ी भी

स्कर्ट होती

जा रही है

शादी को होते

नहीं महीने दो

तलाक़ की

क़तार बड़ी

जा रही है

लड़के नही

मिलते होश

में अब तो

ये शराब

बोहत सस्ती हुई

जा रही है

बच्चे के सोने

का इंतज़ार

है माँ को

पार्टी की

रौनक़ बूझतीं

जा रही है

संस्कार… Continue

Added by S.S Dipu on September 23, 2016 at 12:27am — 6 Comments

ख़ामोशी

ख़ामोशी
की चीख़
तलवार की
धार से
भी तेज़
होती है
कलेजा फट
जाता है जब
ये ख़ामोशी
रोती है
सन्नाटे की
तलाश में
सर पटक
कर सोती है
वहाँ भी
नींद में
तिसकार फटकार
की आवाज़ें
होती है
कहाँ जाए
ख़ामोशी
सुकून की
तलाश में
ये दुनिया
से दूर
अकेले ही
रोती है
मौलिक अप्रकाशित

Added by S.S Dipu on September 20, 2016 at 10:55pm — 6 Comments

बिंदु और सिंदु

बिंदू
मिटकर ही
बनता है
सिंधु ।
पानी की
टपकती बूँद
समंदर को
छू लेतीं है
मिटाकर अपना
आप
विशालता को
छू लेती है
समंदर पाने
के लिए
बूँद बनना
पड़ता है
कुछ हासिल
करने के लिए
खोना भी पड़ता है
कभी बिंदु भी
बनना पड़ता है
कभी सिंधु भी
बनाना पड़ता है

मौलिक व अप्रकाशित"

Added by S.S Dipu on September 20, 2016 at 12:08am — 6 Comments

गुम हो जाएँ

बरसों बात मिली 
है सहेली मेरी 
एक चाई का 
प्याला और खट्टी
मीठी यादें 
समेट कर 
लायी है 
सहेली मेरी 
चल चले 
मेले में 
कुछ ख़ुशियाँ 
बटोरने 
कुछ कची
कचौरी खाने
कुछ इमली
तोड़ने 
अठन्नी कम 
पड़ गयी 
थी घसीटे
की ठेली में
कान मरोड़…
Continue

Added by S.S Dipu on September 19, 2016 at 1:14pm — 4 Comments

उम्मीद में

बेटा बेटा करते

करते आज

तीसरी बेटी हुई है

उम्मीदों की बली

आँचल फिर चढ़ी है

दुर्गा माँ की डोली

धूम धाम से

सजी है

और बेटी के

हँसने पर

बेड़ियाँ

लगी है

भाई किसी

लड़की को

छेड़ कर

आया है

बहन ने

फिर भाई को

पुलिस से

छुपाया है

जिस कोख से

तू जन्मा है

उसको शर्मसार

ना कर

अस्तिवा ही

औरत है तेरा

मर्द है तो

हाहा कार

ना कर

जिस रोज़

औरत अपनी

ज़िद पर

अड़… Continue

Added by S.S Dipu on September 18, 2016 at 11:47am — 4 Comments

चूल्हा

चूल्हे पर तपता

पतीला

आग की बेचैन

लपटें

माँ की कुछ बेबस

साँसे

बच्चे की खुली

किताबें

मन में आस की

तरंगे

पतिले के उबलते

पानी को

इंतज़ार है चावल

के कुछ बिन छने

दानो का

लगता नही की

शराबी

पिताजी

घर लौटेंगे

बिन झगड़ा कर

माँ से

बिन चादर

ही सो लेंगे

लगता नहीं

की दादी बेटे

की तरफ़दारी

से बच पाएँगी

दारू को भी

माँ की

वजह बतायेंगी

चूल्हा फड़फड़ाके

ख़ुद…

Continue

Added by S.S Dipu on September 16, 2016 at 12:30am — 6 Comments

बुढ़ापे का सफ़र

बुढ़ापे की पुकार



सहम जाता हूँ मैं

रात के सन्नाटे से

ना छोड़ना मुझे बेटा

कभी किसी बहाने से

मैं तब भी था भूखा जब

तेरी पैंट फट गयी थी

और तू ले गया था

पैसे मेरे सरहाने से

तब तू रोया करता था

हँसी हमें सूझती थी

आज हँसी तुझे भी

आती हैं पर

मेरे रो जाने से

मालूम है मुझे भी

कंधों पर बोझ तेरे

ज़रूरत से ज़्यादा है

पर मेरे कंधों के भोज

से तेरा बोझ आधा है

तुम तीनों बच्चे और

तेरे दादा दादी साथ थे

घर… Continue

Added by S.S Dipu on September 14, 2016 at 4:46am — 10 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

anwar suhail updated their profile
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Friday
ajay sharma shared a profile on Facebook
Thursday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। पति-पत्नी संबंधों में यकायक तनाव आने और कोर्ट-कचहरी तक जाकर‌ वापस सकारात्मक…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब। सोशल मीडियाई मित्रता के चलन के एक पहलू को उजागर करती सांकेतिक तंजदार रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार।‌ रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर रचना के संदेश पर समीक्षात्मक टिप्पणी और…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब।‌ रचना पटल पर समय देकर रचना के मर्म पर समीक्षात्मक टिप्पणी और प्रोत्साहन हेतु हार्दिक…"
Nov 30
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, आपकी लघु कथा हम भारतीयों की विदेश में रहने वालों के प्रति जो…"
Nov 30
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मनन कुमार जी, आपने इतनी संक्षेप में बात को प्रसतुत कर सारी कहानी बता दी। इसे कहते हे बात…"
Nov 30
AMAN SINHA and रौशन जसवाल विक्षिप्‍त are now friends
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service