(१)
जब आए - तो रस बरसाए
न आए - तो बड़ा सताए
कोई न ऐसा मनभावन
ऐ सखी साजन?? न सखी सावन ।
(२)
मोरे पास - तो करे मगन
दूजे के संग - देत जलन
न जग मे कोई वाके जैसा
ऐ सखी साजन?? न सखी पैसा |
(३)
हमरे जीवन कै आधार
वो ही तो सगरा संसार
बड़ा सोच के रचिन रचैया
ऐ सखी साजन?? न सखी मैया
Added by Vikram Srivastava on September 23, 2011 at 3:00pm — 13 Comments
बस प्रेम सिखाने आई थी ??
जो प्रेम सिखाकर जाती हो ??
ख्वाबों में आकर नींद के थैले से
यूँ चैन चुराकर जाती हो...
तुमने ही सिखाया था मुझको
सूनी…
ContinueAdded by Vikram Srivastava on September 21, 2011 at 12:28am — 4 Comments
Added by Vikram Srivastava on September 19, 2011 at 9:59pm — 3 Comments
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