यक्षराज कुबेर की राजधानी अलकापुरी में वास करने वाला एक यक्ष प्रमादवश सेवा में हुई किसी चूक के कारण यक्षराज के कोप का भाजन बना . कुबेर ने उसे शाप दिया कि वह वर्ष पर्यंत निर्वासित रहकर अपनी पत्नी का वियोग सहे. यक्ष का प्रमाद कालिदास ने स्पष्ट नही किया . कितु टीकाकारों ने निज अनुमान से कई बड़े ही विदग्ध निष्कर्ष निकाले हैं. इनमे सबसे प्रचलित और बहुमान्य निष्कर्ष यह है कि कालिदास का अभागा शापित यक्ष कुबेर का बागबान था और उसके प्रमाद से इंद्र का विश्रुत हाथी ऐरावत एक दिन कुबेर…
ContinueAdded by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on September 30, 2017 at 10:03pm — 2 Comments
यक्षराज कुबेर की राजधानी अलकापुरी में वास करने वाला एक यक्ष प्रमादवश सेवा में हुई किसी चूक के कारण यक्षराज के कोप का भाजन बना . कुबेर ने उसे शाप दिया कि वह वर्ष पर्यंत निर्वासित रहकर अपनी पत्नी का वियोग सहे. यक्ष का प्रमाद कालिदास ने स्पष्ट नही किया . कितु टीकाकारों ने निज अनुमान से कई बड़े ही विदग्ध निष्कर्ष निकाले हैं. इनमे सबसे प्रचलित और बहुमान्य निष्कर्ष यह है कि कालिदास का अभागा शापित यक्ष कुबेर का बागबान था और उसके प्रमाद से इंद्र का विश्रुत हाथी ऐरावत एक दिन कुबेर…
ContinueAdded by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on September 30, 2017 at 9:51pm — 1 Comment
प्रिये, स्वप्न दर्शन में जब तुम किसी भाँति हो मिल जाती
निष्ठुर भुजपाशों में भरने की ज्यों ही बेला आती
आतुर हो जब महा शून्य में अपना भुज मैं फैलाता
मेरी करुणा पर वन देवी का दृग-अंचल भर आता
मोटे-मोटे मुक्ताहल से अश्रु कपोलों पर आते
और पादपों के पल्लव पर सहसा बरस बिखर जाते (४३)
देवदार तरु के नैसर्गिक मुड़े हुए मृदु पातों को
सहज खोल दक्षिण से आती हिमपर्वत की वातो को
जो उन पल्लव के फुटाव से बहते पय-निर्यासों…
Added by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on September 9, 2017 at 11:30am — 5 Comments
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