श्राद्ध पक्ष के कुछ दोहे. . . . .
घर- घर पूजे श्राद्ध में, पितरों को संतान ।
श्रद्धा पूरित भाव से, उनको दे सम्मान ।।
श्राद्ध सनातन रीत है, श्राद्ध पितर सम्मान ।
सच्चे मन से मानिए, श्राद्ध शास्त्र विधान ।।
श्राद्ध पक्ष में पूजती, पुरखों को सन्तान ।
श्रद्धा से तर्पण करें, उनका कर के ध्यान ।।
श्राद्ध पक्ष विचरण करें , पितर धरा के पास।
आकर दें आशीष वो , ऐसा है विश्वास ।।
जीते जी माँ बाप का, सदा करो सम्मान ।
जा…
Added by Sushil Sarna on September 19, 2022 at 5:20pm — 6 Comments
पाँच दोहे. . .
कल में कल की कल्पना, कल में कल की प्यास ।
कल में साँसें ले रहा, जीवन का विश्वास ।।
तिमिर लोक में प्रेम का, अद्भुत है इतिहास ।
सुर्ख साँझ के साथ ही, बढ़े मिलन की प्यास ।।
सब जानें ये जिन्दगी , केवल है आभास ।
फिर भी क्यों आभास का, जीव करे विश्वास ।।
हर लकीर पर है लिखा, जीवन का संघर्ष ।
तकलीफों के जलजले, डूबा जिसमें हर्ष ।।
हर तम का संसार में, होता एक प्रभात ।
सुख की छोटी सी किरण…
Added by Sushil Sarna on September 17, 2022 at 8:30pm — 4 Comments
हिन्दी दिवस पर कुछ दोहे :
हिन्दी अपने देश में, माँगे अपना मान ।
अंग्रेजी के ग्रहण से, धूमिल इसकी शान ।।
अंग्रेजी को देश में, इतना क्यों सम्मान ।
हिन्दी का अपमान तो, भारत का अपमान ।।
हिन्दी हिन्दुस्तान के, माथे का सरताज ।
हिन्दी तो है हिन्द के , जन-जन की आवाज ।।
हिन्दी से अच्छा नहीं, करना यूँ परहेज ।
अंग्रेजी के तेज को, हिन्द करे निस्तेज ।।
कण -कण में अब हिन्द के , हिन्दी गूँजे आज ।
नहीं चलेगा…
Added by Sushil Sarna on September 14, 2022 at 8:37pm — 6 Comments
दोहा मुक्तक-मुफलिसी ..........
चौखट पर ईमान की, झूठे पहरेदार ।
भूख, प्यास, आहें भरे, रुदन करे शृंगार ।
नीर बहाए मुफलिसी, जग न समझा पीर -
फुटपाथों पर भूख का, सजा हुआ बाजार ।
* * * * *
मौसम की हैं झिड़कियाँ, तानों का उपहार ।
मुफलिस की हर भोर का , क्षुधा करे शृंगार ।
क्या आँसू क्या कहकहे, सब के सब है मौन -
दो रोटी के वास्ते, तन बिकता सौ बार ।
सुशील सरना / 4-9-22
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Added by Sushil Sarna on September 4, 2022 at 2:51pm — 4 Comments
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