For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

पाँच  दोहे. . .

कल में कल की कल्पना, कल में कल की प्यास ।
कल में साँसें ले रहा, जीवन का विश्वास ।।

तिमिर लोक में प्रेम का, अद्भुत है इतिहास ।
सुर्ख साँझ के साथ ही, बढ़े मिलन की प्यास ।।

सब जानें ये जिन्दगी , केवल है आभास ।
फिर भी क्यों आभास का, जीव करे विश्वास ।।

हर लकीर पर है लिखा, जीवन का संघर्ष ।
तकलीफों के जलजले, डूबा जिसमें हर्ष ।।

हर तम का संसार में, होता एक प्रभात ।
सुख की छोटी सी किरण , दुख को देती मात ।।

सुशील सरना / 17-9-22

मौलिक एवं अप्रकाशित 

Views: 223

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on September 27, 2022 at 8:56pm
आदरणीय रक्ताले साहब सादर प्रणाम - सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी । आपके अमूल्य सुझाव का दिल से आभार ।सहमत एवं संशोधित सर ।हार्दिक आभार सर
Comment by Ashok Kumar Raktale on September 26, 2022 at 11:19pm

आदरणीय सुशील सरना साहब सादर, सुन्दर दोहे रचे हैं आपने. फिर भी चतुर्थ दोहे के अंतिम चरण के प्रारम्भ में तृतीय चरण का वृद्धि शब्द 'में' का आना खल रहा है. अंतिम चरण में बदलाव कर लें. /डूबा जिसमें हर्ष / सादर

Comment by Sushil Sarna on September 26, 2022 at 2:06pm
आदरणीय समर कबीर जी आदाब, सृजन आपकी स्नेहिल प्रशंसा का दिल से आभारी है सर ।अवश्य
Comment by Samar kabeer on September 21, 2022 at 4:07pm

जनाब सुशील सरना जी आदाब, अच्छे दोहे लिखे आपने , बधाई स्वीकार करें I 

क्रप्या साथियों की रचनाओं पर भी अपनी टिप्पणी दिया करें I 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on KALPANA BHATT ('रौनक़')'s blog post डर के आगे (लघुकथा)
"वाह बहुत सुंदर और सार्थक प्रस्तुति आदरणीया जी । लघु कथा की लम्बाई कुछ अधिक लगी । सादर नमन"
39 minutes ago
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-102 (विषय: आरंभ)
"स्वागतम"
13 hours ago
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-159
""ओबीओ लाइव तरही मुशाइर:" अंक-159 को सफल बनाने के लिए सभी ग़ज़लकारों और पाठकों का हार्दिक…"
13 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-159
"शुक्रिया अमित जी।"
14 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-159
"वाहह वाह "
15 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-159
"जनाब दिनेश कुमार जी आदाब, तरही मिसरे पर अच्छी ग़ज़ल कही है आपने मुबारकबाद पेश करता हूँ। मतला और…"
15 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-159
"आदरणीय लक्ष्मण धामी भाई मुसाफ़िर जी आदाब, तरही मिसरे पर ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार…"
15 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-159
"आ. भाई दिनेश जी, अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई ।"
15 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-159
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, तरही मिसरे पर ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार करें,…"
15 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-159
"मुहतरमा रचना भाटिया जी आदाब, तरही मिसरे पर अच्छी ग़ज़ल कही है आपने दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता…"
15 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-159
"आ. भाई अमित जी, अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और विस्तृत तटिप्पणी के लिए आभार। सुझाव अच्छे हैं। हार्दिक…"
15 hours ago
दिनेश कुमार replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-159
"सभी आदरणीय साथियों का दिली आभार।  हालांकि ये etiquette के खिलाफ़ है कि आप सब का अलग अलग आभार…"
16 hours ago

© 2023   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service