बेवजह खुर्शीद पर, उँगली उठाया मत करो।
ख़ाक हो जाओगे तुम, नज़रें मिलाया मत करो।।
चलना है तो साथ चल वरना कदम पीछे हटा।
दोस्ती की राह में काँटे बिछाया मत करो।।
मुश्किलें आती रहेंगी जब तलक जीवन है…
ContinueAdded by प्रदीप देवीशरण भट्ट on September 30, 2018 at 6:30pm — 1 Comment
माया-काया के चक्कर मे, उलझे जाने कितने लोग।
दूर तमाशा देख रहे हैं, हम जैसे अनजाने लोग॥
ठगनी माया कब ठहरी है,एक जगह तू सोच ज़रा।
बौराए से फिरते रहते, कुछ जाने पहचाने लोग॥
हँसना-रोना, खोना –पाना, जीवन के हैं रंग कई।
दुख से…
ContinueAdded by प्रदीप देवीशरण भट्ट on September 26, 2018 at 1:00pm — 3 Comments
तुम या तो बन जाओ किसी के, या उसको अपना बना के देखो, जीवन महकेगा फूलों सा, प्रेम सुधा तुम पीकर देखो ।। क्या खोया है क्या पाया… |
Added by प्रदीप देवीशरण भट्ट on September 19, 2018 at 6:00pm — 4 Comments
सबके लिए है कुछ न कुछ, मुंबई मे ज़रूर ।
एक बार सही मुंबई में बस आइए ज़रूर॥
निर्विघ्न हो जब हाथ है सर पे विघ्नहर्ता का।
श्रद्धा तू रख ये होंगे सिद्ध एक दिन ज़रूर।।
खाली नहीं लौटा है बशर, हाजी-अली…
ContinueAdded by प्रदीप देवीशरण भट्ट on September 13, 2018 at 12:00pm — 2 Comments
पल में तोला है पल में माशा है
ये ज़िन्दगी है या एक तमाशा है
मय को पीकर इधर उधर गिरना
ये मयकशी है या एक तमाशा है
दब गए बोल सारे साज़ों में
ये मौसिक़ी है या एक तमाशा है
दिख रहे ख़ुश बिना तब्बसुम के
ये ख़ुशी है या एक तमाशा है
इश्क़ को कर रहा रुसवा कबसे
ये आशिक़ी है या एक तमाशा है
दरिया में रह के नीर की चाहत
ये तिश्नगी है या एक तमाशा है
तू जल रहा फिर…
ContinueAdded by प्रदीप देवीशरण भट्ट on September 1, 2018 at 1:14pm — 1 Comment
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