इश्क बेक़रार करता,खूब बेक़रार करता,
कहते मर जायेंगे,न कोई बेक़रार मरता।
तौबा करेंगे, हद हो गयी राह तकने की,
मुरीद-ए-इश्क,बे-इंतहा इन्तजार करता?
हुआ-सो-हुआ,न करेंगे इश्क,खूब अकड़ता,
क्या पता फिर क्यूँ इश्क बार-बार करता?
मरने की ख़्वाहिश कहीं पालता है कोई?
कैसे कहें क्यूँ इश्क पर बार-बार मरता?
इश्क का कायल,कह देते,टूट जाता आदमी,
पर,दिखता खुद से लड़ता,सरहदों पे मरता।
*"मौलिक व अप्रकाशित"
Added by Manan Kumar singh on October 15, 2014 at 8:30am — 4 Comments
अहसास
मधुप की ट्रेन खुल चुकी था। छुट्टियों के बाद वह वापस नौकरी पर जा रहा था। माधवी से मोबाइल पर बात होते –होते रह गयी, माधवी का गला जैसे रुँध गया हो। कुछ देर की चुप्पी के बाद वह ‘ठीक है ....’ ही कह पायी थी।मधुप भी अतीत की स्मृतियों में खोने लगे, ‘कितना खयाल रखती है माधवी उसका तथा परिवार के सभी लोगों का ? वह तो छोटी –छोटी बातों पर भी चिढ़ जाता है। तब माधवी कितने शांत लहजे में कहती है कि भला ऐसा क्या हो जाता है उन्हें कभी –कभी? बच्चों की तकलीफ जरा भी बर्दाश्त नहीं आपको।…
ContinueAdded by Manan Kumar singh on October 12, 2014 at 10:30am — 2 Comments
तलाश एक कथा की
तलाश,
फिर-फिर तलाश,
हर पल,हर पहर,
तलाशा है तुझे,
इस उम्मीद के साथ कि
तू मिल जायेगी मुझे,
कभी-न-कभी,कहीं-न-कहीं।
सब कुछ तो साथ लिए चलता रहा,
भाव,अभिव्यक्ति,
कामना तेरे मिल जाने की,
उमंगें हसरतें खिल जाने की,
शब्दों के जिंदा रहने के,
दूरस्थता-बोध सहने के,
अहसास अभी जिंदा हैं,
रहेंगे भी तबतक शायद
जबतक तू अवतरित न हो
शब्दों का बन…
ContinueAdded by Manan Kumar singh on October 12, 2014 at 10:30am — No Comments
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