क्यों रे दीपक
क्यों जलता है,
क्या तुझमें
सपना पलता है...?!
हम भी तो
जलते हैं नित-नित
हम भी तो
गलते हैं नित-नित,
पर तू क्यों रोशन रहता है...?!
हममें भी
श्वासों की बाती
प्राणों को
पीती है जाती,
क्या तुझमें जीवन रहता है...?!
तू जलता
तो उत्सव होता
हम जलते
तो मातम होता,
इतना अंतर क्यों रहता है...?!
तेरे दम
से दीवाली हो
तेरे दम
से खुशहाली…
Added by VISHAAL CHARCHCHIT on October 27, 2013 at 5:00pm — 31 Comments
बह्र-ए-मुतदारिक-मुसम्मन-सालिम
फाइलुन-फाइलुन-फाइलुन-फाइलुन
२१२.....२१२.....२१२.....२१२
इश्क में हम यूं हद से गुजर जायेंगे
आओगे पीछे पीछे जिधर जायेंगे
आजमाने की खुद को जरूरत नहीं
जादू जब चाह लें तुम पे कर जायेंगे
चाहने वाले तुमको कई होंगे पर
एक हम होंगे जो हँस के मर जायेंगे
जो सहारा तुम्हारा मिला जानेमन
तो अमर हम मुहब्बत को कर जायेंगे
हम तो 'चर्चित' हैं पहले से ही इश्क में
अब तुम्हें साथ चर्चित यूं…
Added by VISHAAL CHARCHCHIT on October 25, 2013 at 6:38pm — 16 Comments
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