कल मानव और विभा की शादी के दस वर्ष पूरे हो रहे थे। सो इस बार की मैरिज एनीवर्सरी विशेष थी। दाम्पत्य जीवन में कोई अभाव प्रकटतः तो विभा को नहीं था। दो बच्चे, बेटी मानसी और बेटा विशेष प्राइवेट स्कूल में पढ़ रहे थे। विभा एम, ए. बी. एड. थी, मिजाज़ से हाउस वाइफ थी। सारा दिन चौका बर्तन, सफाई, बच्चों की सुख-सविधा में कोई कमी न रहे इसमें निकल जाता था । हाँ मानव से ज़रूर उसे शिकायत थी। मानव एक कस्बे के महाविद्यालय में अंग्रेजी के प्रवक्ता थे। उनका ज्यादातर समय अध्ययन और अध्यापन में ही निकल जाता और बचता…
ContinueAdded by Chetan Prakash on November 29, 2020 at 6:00am — 3 Comments
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राज़ आशिक़ के पलने लगे हैं
फूल लुक-छिप के छलने लगे है
उनके आने से जलने लगे हैं
मुँह-लगे दिल तो मलने लगे हैं
कोई आता है खिड़की पे उसकी
रात में गुल वो खिलने लगे हैं
चल रही है मुआफिक हवा भी
बागवाँ फूल फलने लगे हैं
आज पूनम दुखी है बहुत सुन !
आँख में ख्वाब खलने लगे हैं
रंग सावन ग़जल आ घुले फिर
अब तो चेतन बदलने लगे हैं
मौलिक एवं…
ContinueAdded by Chetan Prakash on November 23, 2020 at 6:30pm — 2 Comments
आज मम्मी जी पापा जी छोटे के लिए लड़की देखने जा रहे। हम दो भाई है, छोटे भाई का नाम अभिषेक है। मुझे तो बैंक जाना था, फरवरी मार्च दो महीने, बैंक से छट्टिया वैसे भी नहीं मिलतीं। सास- ससुर की लाड़ली बड़ी बहू उनके साथ जारही थी। बहुत खुश थी, बड़ी बहू-चयन का विशेष दायित्व जो मिल गया था। पापा जी ने तो कह दिया था, हम ठहरे पुराने जमाने के लोग, आजकल जो अपेक्षाएं, एक बहू से परिवार को हो सकती है तुम बेहतर जानती हो। ड्राईवर के आते ही कहा, गाड़ी लगाओ, रामबीर चार घंटे का रास्ता है । बारह बजे तक पहुँचना है,…
ContinueAdded by Chetan Prakash on November 8, 2020 at 7:00pm — 6 Comments
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