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Sushil Sarna's Blog – November 2020 Archive (4)

दस्तक :

दस्तक :

वक़्त बुरा हो तो

तो पैमानें भी मुकर जाते हैं

मय हलक से न उतरे तो

सैंकड़ों गम

उभर आते हैं

फ़िज़ूल है

होश का फ़लसफ़ा

समझाना हमको

उनके दिए ज़ख्म ही

हमें यहां तक ले आते हैं

वो क्या जानें

कितने बेरहम होते हैं

यादों के खंज़र

हर नफ़स उल्फ़त की

ज़ख़्मी कर जाते हैं

तिश्नगी बढ़ती गई

उनको भुलाने के आरज़ू में

क्या करें

इन बेवफ़ा क़दमों का

लाख रोका

फिर भी

ये

उनके दर तक ले जाते हैं

उनकी…

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Added by Sushil Sarna on November 20, 2020 at 8:43pm — 2 Comments

बड़ी नज़ाकत से हमने .....

बड़ी नज़ाकत से हमने .....

बड़ी नज़ाकत से हमने
यादों को दिल में पाला है
अपने -अपने दर्दों को
मुस्कराहटों में ढाला है
मुद्दा ये नहीं कि
चराग़ बेवफ़ाई का
जलाया किसने
सच तो ये है अश्क चश्म में
दोनों ने संभाला है
ये हाला है उल्फत की
उल्फत का ये प्याला है
पाक मोहब्बत का दोनों के
दिल में पाक शिवाला है
बड़ी नज़ाकत से हमने
यादों को दिल में पाला है

सुशील सरना
मौलिक एवं अपक्राशित

Added by Sushil Sarna on November 18, 2020 at 6:07pm — 2 Comments

अनजाने से .....

अनजाने से .....

मैं

व्यस्त रही

अपने बिम्ब में

तुम्हारे बिम्ब को

तराशने में

तुम

व्यस्त रहे

स्वप्न बिम्बों में

अपना स्वप्न

तराशने में

हम

व्यस्त रहे

इक दूसरे में

इक दूसरे को

तलाशने में

वक्त उतरता रहा

धूप के सायों की तरह

मन की दीवारों से

हम के आवरण से निकल

मैं और तू

रह गए कहीं

अधूरी कहानी के

अपूर्ण से

अफ़साने…

Continue

Added by Sushil Sarna on November 4, 2020 at 7:30pm — 7 Comments

जीने से पहले ......

जीने से पहले ......

मिट गई

मेरी मोहब्बत

ख़्वाहिशों के पैरहन में ही

जीने से पहले

जाने क्या सूझी

इस दिल को

संग से मोहब्बत करने का

वो अज़ीम गुनाह कर बैठा

अपने ख़्वाबों को

अपने हाथों

खुद ही तबाह कर बैठा

टूट गए ज़िंदगी के जाम

स्याह रातों में

ज़िंदगी

जीने से पहले

डूबता ही गया

हसीन फ़रेबों के ज़लज़ले में

ये दिल का सफ़ीना

भूल गया

मौजों की तासीर

साहिल कब बनते हैं

सफ़ीनों की…

Continue

Added by Sushil Sarna on November 2, 2020 at 6:05pm — 8 Comments

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