पीड़ितों के बीच से तलवार लेकर आ गये
आप नाटक में नया किरदार लेकर आ गये |
मैं समझता था हर इक शै है बहुत सस्ती यहाँ
एक दिन बाबा मुझे बाज़ार लेकर आ गये |
माँ के हाथों की बनी स्वेटर थमाई हाथ में
आप बच्चे के लिए संसार लेकर आ गये |
क़त्ल, चोरी, घूसखोरी, खुदखुशी बस, और क्या
फिर वही मनहूस सा अख़बार लेकर आ गये |
दोस्तों से अब नहीं होती हैं बातें राज़ की
चन्द लम्हे बीच में दीवार लेकर आ गये |
--…
ContinueAdded by आशीष नैथानी 'सलिल' on December 26, 2013 at 8:31pm — 14 Comments
(२१२२ १२१२ २२)
एक बीमार की दवा जैसे
तुम मेरे पास हो ख़ुदा जैसे |
साँस-दर-साँस ज़िन्दगी का सफ़र
और तुम आखिरी हवा जैसे |
उनकी आँखों में बस मेरा चेहरा
आइनों से हो सामना जैसे |
रूह ! बेकार है बदन तुझ बिन
इक लिफ़ाफ़ा है बिन पता जैसे |
आपकी मुस्कुराहटों की कसम
हो गया जन्म दूसरा जैसे |
- आशीष नैथानी 'सलिल'
(मौलिक और अप्रकाशित)
Added by आशीष नैथानी 'सलिल' on December 3, 2013 at 11:30pm — 21 Comments
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