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उस के नाम पे धोके खाते रहते हो
फिर भी उस के ही गुण गाते रहते हो.
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उस के आगे बोल नहीं पाते हो तुम
मैं बोलूँ तो हाथ दबाते रहते हो.
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कोई नया इस दुनिआ में कब आता है
तुम ही जा कर वापस आते रहते हो.
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तुम को वापस अपने घर भी जाना है
क्यूँ दुनिआ से लाग लगाते रहते हो.
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अक्सर मिलता है वो इन्साँ पूजता है
वो जिस को तुम ख़ुदा बताते रहते हो.
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वाइज़ जी क्या तुम ने वो सब सीख लिया
हम को जो कुछ तुम समझाते रहते…
Added by Nilesh Shevgaonkar on December 27, 2021 at 8:30am — 9 Comments
कहीं से उड़ के परिन्दे कहीं पे उतरे हैं
ख़ुदा से हो के ख़फ़ा हम ज़मीं पे उतरे हैं.
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तुम्हारे ढब से मिली बारहा जो रुसवाई
हर एक बात पे हाँ से नहीं पे उतरे हैं.
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हमारी आँखों की झीलें भी इक ठिकाना है
तुम्हारी यादों के सारस यहीं पे उतरे हैं.
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हमारी फ़िक्र से नीचे फ़लक मुहल्ला है
ये शम्स चाँद सितारे वहीं पे उतरे हैं.
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हज़ारों बार ज़मीं ने ये माथा चूमा है
उजाले सजदों के मेरे जबीं पे उतरे हैं.
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निलेश "नूर"…
Added by Nilesh Shevgaonkar on December 22, 2021 at 10:30pm — 10 Comments
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ग़म-ए-फ़िराक़ से गर हम दहक रहे होते
तो आफ़ताब से बढ़कर चमक रहे होते.
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बदन की सिगड़ी के शोलों पे पक रहे होते
वो मेरे साथ अगर सुब्ह तक रहे होते.
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तेरी शुआओं को पीकर बहक रहे होते
मेरी हवस को मेरे होंट बक रहे होते.
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सुकून मिलता हमें काश जो ये हो जाता
कि हम भी यार के दिल की कसक रहे होते.
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तेरी नज़र से उतरना भी एक नेमत है
वगर्न: आँखों में सब की खटक रहे होते.
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लबों का रस हमें मिलता तो शह’द होते हम
अगर जो…
Added by Nilesh Shevgaonkar on December 10, 2021 at 6:31pm — 20 Comments
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