ठीक है, ठीक है, ठीक है
मूर्खता घाघ की लीक है
चाटना, काटना, बाँटना
लूट की नीच तकनीक है
झूट है न्याय की भावना
आ रही देश को हीक है
लाल है हुक्म के होंठ क्यों
खून है या रची पीक है
राज है तो हमें डर नहीं
सोच ये तंत्र की ज़ीक़ है
ज़ीक़ – तंग
~अमितेष
Added by अमि तेष on December 26, 2012 at 8:47pm — 10 Comments
खुद को जब खुद से बचाना सीखिये
आप तब गोली चलाना सीखिये
पीर को खंजर, बनाना सीखिये
गर्दनें गम की उड़ाना सीखिये
पी रहे है खून दुनिया का बड़ा
खून के इनको बहाना सीखिये
दाग ये काले, घिनौने है बड़े
दाग को जड़ से मिटाना सीखिये
चोट से, मरते नहीं है नाग जो
आग से इनको जलाना सीखिये
.…
Added by अमि तेष on December 23, 2012 at 9:30pm — 9 Comments
एक ग़ज़ल प्रस्तुत कर रहा हूँ ...... गुरुजनों से अनुरोध है कृपया मार्गदर्शन किजिए
चांदनी आज फिर विदा होगी
रोशनी आज फिर फना होंगी
जब कभी रंग रोशनी होंगे
आपके हाथ में हिना होगी
दर्द दे आज फिर हमें मौला
दर्द की आज इन्तहा होगी
हो गया एक नज़्म का सौदा
शायरी देख कर खफा होगी
चूम लों आँख, सोख लों…
Added by अमि तेष on December 16, 2012 at 1:30pm — 9 Comments
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