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आप तब गोली चलाना सीखिये..........

खुद को जब खुद से बचाना सीखिये
आप तब गोली चलाना सीखिये

पीर को खंजर, बनाना सीखिये
गर्दनें गम की उड़ाना सीखिये

पी रहे है खून दुनिया का बड़ा
खून के इनको बहाना सीखिये

दाग ये काले, घिनौने है बड़े
दाग को जड़ से मिटाना सीखिये

चोट से, मरते नहीं है नाग जो
आग से इनको जलाना सीखिये

.
~अमितेष 

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सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on December 25, 2012 at 9:03pm

जुल्म से खुद को बचाना सीखिए 

आप अब गोली चलाना सीखिए -----मतले का शेर यूँ करके देखिये ---बहुत अच्छी कोशिश है प्रयास रत रहें 
Comment by अमि तेष on December 25, 2012 at 12:25pm

शुक्रिया बागी सर ............क्या इसे यूँ भी लिख सकते है ......

आप तो गोली चलाना सीखिये
खुद-ब-खुद खुद को बचाना सीखिये

पीर को खंजर, बनाना सीखिये
गर्दनें गम की उड़ाना सीखिये

चोट से, मरते नहीं है नाग जो
आग से इनको जलाना सीखिये

पी रहे है खून दुनिया का बड़ा
खून के इनको बहाना सीखिये

दाग ये काले, घिनौने है बड़े
दाग को जड़ से मिटाना सीखिये
~©अमितेष


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on December 25, 2012 at 10:31am

खुद को जब खुद से बचाना सीखिये
आप तब गोली चलाना सीखिये..................शेर जब तब में उलझ सा गया है, एक बारगी ऐसा भी लग रहा है कि खुद को खुद से खतरा है जिससे बचने कि बात हो रही है ,  यदि शेर को ऐसे कहें तो ....

खुद को अब खुद ही बचाना सीखिये
आप भी गोली चलाना सीखिये

पीर को खंजर, बनाना सीखिये
गर्दनें गम की उड़ाना सीखिये...........सुन्दर शेर ,

पी रहे है खून दुनिया का बड़ा
खून के इनको बहाना सीखिये.........मिसरा सानी अस्पष्ट |

दाग ये काले, घिनौने है बड़े
दाग को जड़ से मिटाना सीखिये......यह शेर बढ़िया बन पड़ा है |

चोट से, मरते नहीं है नाग जो
आग से इनको जलाना सीखिये...... भर्ती का शेर |

Comment by अमि तेष on December 24, 2012 at 6:17pm

sukriyaa sir 

Comment by vijay nikore on December 24, 2012 at 6:07pm

दाग ये काले, घिनौने है बड़े
दाग को जड़ से मिटाना सीखिये

अच्छा कहा है।

विजय निकोर

Comment by अमि तेष on December 24, 2012 at 1:00pm

शुक्रिया सर

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on December 24, 2012 at 12:32pm

बहुत खूब सर जी बधाई 

Comment by अमि तेष on December 24, 2012 at 11:35am

शुक्रिया भाई ......

Comment by अरुन 'अनन्त' on December 24, 2012 at 11:30am

अमितेष जी वर्तमान परिस्थितियों का ग़ज़ल के रूप में बहुत ही बारीकियों से वर्णन किया है आपने, जागरूक करती ग़ज़ल बधाई स्वीकारें

कृपया ध्यान दे...

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