For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

इश्क में हो गये है शेर सब

इश्क में हो गये है शेर सब 
शेरनी की गरज पर ढेर सब 

है बनी शायरी अब फुन्तरू 
आम से हो गये है बेर सब 

हां कलम भी कभी हथियार थी 
चुटकुला अब, समय का फेर सब 

जे छपे, वे छपे, हम रह गये 

चाटने में हुई है देर सब 

खो गये मीर, ग़ालिब, मुसहफ़ी 
लिख रहे है खुदी को जेर सब 
~अमितेष 
मौलिक व अप्रकाशित 

फुन्तुरु - मजाक 
मीर - मीर तक़ी 'मीर'

ग़ालिब - असद उल्लाह खां ग़ालिब 
मुसहफ़ी - शैख़ गुलाम हम्दानी मुसहफ़ी 

Views: 697

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr Ashutosh Mishra on June 6, 2013 at 2:20pm

उर्दू शब्दों का अर्थ बताने से आपके बात हर पाठक तक पहुचती है ..और सीखने को भी मिलता है ..सादर बधाई के साथ 

Comment by अमि तेष on June 6, 2013 at 9:38am

 Abid ali mansoori jee, Shyam Narain Verma jee,  coontee mukerji jee,  संदीप द्विवेदी 'वाहिद काशीवासी' jee,  MAHIMA SHREE jee, Saurabh Pandey jee,  रविकर jee और  वीनस केसरी भाई  .......... आप सभी का शुक्रिया ..... सौरभ जी ..वीनस भाई मेंरे बड़े भाई जैसे है .....और मेंटर है ......उनकी हर बात मेरे लिए महत्वपूर्ण है ..... 

Comment by रविकर on June 6, 2013 at 9:03am

गजब---


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on June 6, 2013 at 7:39am

अरे वाह !!

अमितेष भाई जी, क्या ग़ज़ब किया है आपने.. . ::-))))

इस मासूम मग़र निहायत चुलबुले तंज़ को बचा कर रखियेगा, आगे यह जवान हो कर ग़ज़ब ढाने वाला है.. . 

दाद .. भरपूर दाद..

वीनस भाई के कहे में दम है, देखियेगा..

Comment by वीनस केसरी on June 6, 2013 at 1:19am

भाई जी अच्छी ग़ज़ल कही है और अशआर बहरो वज्न में दुरुस्त भी हैं मगर अपने जो अरकान चुना है वह लयात्मक और अनुमत्य है इस पर मुझे शंका है

अगर इसे २१२ / २१२ / २२१२ से बदल कर २१२२ / २१२२ / २१२ कर लें तो रचना विधान के अनुरूप हो जायेगी

आपकी सुविधा के लिए मतले पर एक सुझाव प्रस्तुत है देखें लयात्मकता कैसे कई गुना बढ़ गई है ....
इश्क में यू / तो हुए है शेर सब 
शेरनी की इक गरज पर ढेर सब

इश्क में यू / तो हुए है / शेर सब 
शेरनी की / इक गरज पर / ढेर सब

Comment by MAHIMA SHREE on June 6, 2013 at 12:06am

हा हा  क्या बात है अमितेष जी .. बहुत ही बढ़िया!!

Comment by संदीप द्विवेदी 'वाहिद काशीवासी' on June 5, 2013 at 9:00pm

बढ़िया तन्जीदा लेखन.. बधाई हो अमितेष जी!

Comment by coontee mukerji on June 5, 2013 at 7:08pm

वाह  ! क्या अंदाज़ है . मनोरंजक ./ सादर

Comment by Shyam Narain Verma on June 5, 2013 at 12:08pm
बहुत सुन्दर...बधाई स्वीकार करें ………………
Comment by Abid ali mansoori on June 5, 2013 at 10:04am
वास्तविकता की झलक दिखाई देती है जनाब आपकी रचना मेँ,बधाई!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के
"अच्छी ग़ज़ल हुई, भाई  आज़ी तमाम! लेकिन तीसरे शे'र के सानी का भाव  स्पष्ट  नहीं…"
13 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on surender insan's blog post जो समझता रहा कि है रब वो।
"आदरणीय सुरेद्र इन्सान जी, आपकी प्रस्तुति के लिए बधाई।  मतला प्रभावी हुआ है. अलबत्ता,…"
21 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . . .
"आदरणीय सौरभ जी आपके ज्ञान प्रकाश से मेरा सृजन समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय जी"
yesterday
Aazi Tamaam posted a blog post

ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के

२२ २२ २२ २२ २२ २चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल केहो जाएँ आसान रास्ते मंज़िल केहर पल अपना जिगर जलाना…See More
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 182 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है| इस बार का…See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey added a discussion to the group भोजपुरी साहित्य
Thumbnail

गजल - सीसा टूटल रउआ पाछा // --सौरभ

२२ २२ २२ २२  आपन पहिले नाता पाछानाहक गइनीं उनका पाछा  का दइबा का आङन मीलल राहू-केतू आगा-पाछा  कवना…See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . . .
"सुझावों को मान देने के लिए हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय सुशील सरना जी.  पहला पद अब सच में बेहतर हो…"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

कुंडलिया. . . .

 धोते -धोते पाप को, थकी गंग की धार । कैसे होगा जीव का, इस जग में उद्धार । इस जग में उद्धार , धर्म…See More
Wednesday
Aazi Tamaam commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"एकदम अलग अंदाज़ में धामी सर कमाल की रचना हुई है बहुत ख़ूब बधाई बस महल को तिजोरी रहा खोल सिक्के लाइन…"
Tuesday
surender insan posted a blog post

जो समझता रहा कि है रब वो।

2122 1212 221देख लो महज़ ख़ाक है अब वो। जो समझता रहा कि है रब वो।।2हो जरूरत तो खोलता लब वो। बात करता…See More
Tuesday
surender insan commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। अलग ही रदीफ़ पर शानदार मतले के साथ बेहतरीन गजल हुई है।  बधाई…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . . .
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन के भावों को मान देने तथा अपने अमूल्य सुझाव से मार्गदर्शन के लिए हार्दिक…"
Tuesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service