शोहरतों का हक़दार वही जो,
न भूले ज़मीनी-हकीक़त,
न आए जिसमें कोई अहम्,
न छाए जिसपर बेअदबी का सुरूर,
झूठी हसरतों से कोसों दूर,
न दिल में कोई फरेब,
न किसी से नफ़रत,
पलों में अपना बनाने का हुनर,
ज़ख्मों को दफ़न कर,
सींचे जो ख़ुशियों को,
चेहरे पर निराला नूर,
आवाज़ में दमदार खनक,
अंदर भी…
ख़ूबसूरत मंच है, ज़िन्दगी,
हर राह, एक नया तज़ुर्बा,
ख़ुदा की नेमतों से,
मिला ये मौका हमें,
कि बन एक उम्दा कलाकार,
अदा कर सकें अपना किरदार,
कर लें वह सब,
जो भी हो जाए मुमकिन,
खुद भी मसर्रत हासिल रहे,
औरों के चेहरे की ख़ुशी भी कायम रहे,
और न रहे रुख़सती पर यह मलाल,
कि हम क्या कुछ कर सकते थे,
चूक गए, और वक़्त मिल जाता,
तो ये कर लेते, कि वो कर लेते,
इस मंच को जी लें हम भरपूर,
और हो जाएँ फना फिर सुकून से
एक ख़ूबसूरत मुस्कुराहट के…
Added by Usha on December 2, 2019 at 11:27am — 7 Comments
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