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हैं यूँ ज़िंदगी ने सितम किए, मुझे क्या से क्या है बना दिया
मैं तो आसमाँ के सफ़र में था, मुझे ख़ाक में ही मिला दिया
ये ख़ुशी भी दर्द समेत थी, कि ग़मों के सहरा की रेत थी
जो ख़ुशी ने लाके दिया मुझे, मिरे ग़म ने उसको भी खा दिया
मिरे दिल में दर्द ही दर्द था, कि तमाम उम्र ये सर्द था
लहू सारा दिल ने उड़ेल कर यूँ नज़र के रस्ते गिरा दिया
जो दिल-ओ-जिगर से भी प्यारा था, जिसे अपना कहके पुकारा…
ContinueAdded by Zaif on December 26, 2022 at 9:17pm — 6 Comments
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सज़ा तय हुई है ख़ता के बग़ैर
गला जाएगा अब रज़ा के बग़ैर
मेरे सब्र की इंतिहा देखिए
शिफ़ा चाहता हूँ दवा के बग़ैर
तेरे दाम-ए-तज़्वीर की ख़ैर हो
रिहा हो गया हूँ क़ज़ा के बग़ैर
तेरी बेवफ़ाई प कबतक जियूँ
कभी इश्क़ कर ले दग़ा के बग़ैर
अजब रस्म-ए-दुनिया है क़ाबिज़ यहाँ
न कुछ भी मिले इल्तिजा के बग़ैर
अना से छुटा तो ख़याल आया है
मैं कुछ भी नहीं हूँ ख़ुदा के…
Added by Zaif on December 24, 2022 at 2:48pm — 5 Comments
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