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Manan Kumar singh's Blog – December 2020 Archive (1)

आका (लघुकथा)

फसल की बालियां,डालियां और पत्तियां आपस में बातें कर रही थीं।

' हम फल हैं।जीवन का पर्याय हैं।' बालियां इतरा कर कह रही थीं।

' हम भोजन  न बनाएं,तो सारी हेकड़ी धरी की धरी रह जायेगी।' पत्तियों ने आंखें तरे ड़ कर कहा।

' वाह वाह! क्या कहने! गर हम तुम्हें न संभालें तो फिर क्या हो?' डालियां जरा  मौज में झूमकर बोलीं।

' ठहरो,ठहरो।हमें असमय सूखने पर मजबूर न करो।हम अभी नाजुक दौर में हैं।' बालियों और पत्तियों की सम्मिलित आर्त ध्वनियां गूंजने लगीं।

जड़ और तने एक दूसरे को…

Continue

Added by Manan Kumar singh on December 4, 2020 at 11:00pm — 2 Comments

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