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राह- ए- बदी से हम कभी वाक़िफ़ नहीं रहे
फिर भी तेरे निशाने पे वाइज़ हमीं रहे
कर ग़ौर अपने तौर-तरीकों पे एक बार
चहरा फ़क़त हसीं न हो दिल भी हसीं रहे
दिल के दियार की ज़रा रौनक बहाल हो
गर इस मकाँ में आप सा कोई मकीं रहे
कर इश्क या जगा दे तसव्वुफ़ तेरी रज़ा
ऐ दिल तेरे खिलाफ़ कभी हम नहीं रहे
अब भी यहीं हैं फूल कली चाँद सब मगर
दिलकश तुम्हारे बाद ये उतने नहीं रहे
दिल के…
Added by Gajendra shrotriya on December 6, 2017 at 8:30pm — 12 Comments
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