For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

दिल बड़ा अपना बनाने की ज़रूरत आज है-ग़ज़ल

2122 /2122/ 2122 /212

दिल बड़ा अपना बनाने की ज़रूरत आज है
टूटते रिश्ते बचाने की ज़रुरत आज है

प्यार जितना है जताने की ज़रूरत आज है
अपनापन खुलकर दिखाने की ज़रूरत आज है

हँसते आँगन में पसर जाए न सन्नाटा कहीं
सब गिले शिकवे भुलाने की ज़रूरत आज है

दिल के रिश्तों को ज़ुबाँ से तोड़ना मुमकिन कहाँ
अपनों को अपना बनाने की ज़रूरत आज है

घर बनाना है अगर मज़बूत फिर खुद को हमे
नींव का पत्थर बनाने की ज़रूरत आज है

अपने हक़ की बात करना ही फ़क़त काफ़ी नहीं
फ़र्ज भी अपना निभाने की ज़रूरत आज है

बूढ़ा बरगद है परेशाँ कुछ परिंदों के लिए
उनको घर वापस बुलाने की ज़रूरत आज है

प्रेम के बंधन छिटककर दूर जो भी हो गए
ये ग़ज़ल उनको सुनाने की ज़रूरत आज है
–-----------------------------
मौलिक व अप्रकाशित

Views: 980

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Ajay Kumar Sharma on December 25, 2017 at 9:17pm

बहुत सुन्दर गजल

Comment by Gajendra shrotriya on November 12, 2017 at 11:37am
ग़ज़ल के प्रयास को सराहने के लिए आपका ह्रदय से आभार आ० धमेन्द्र जी।
Comment by Gajendra shrotriya on November 12, 2017 at 11:35am
ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका बहुत आभार आ० सतविन्द्र कुमार जी।
Comment by Gajendra shrotriya on November 12, 2017 at 11:33am
हार्दिक आभार आ० ब्रजेश कुमार जी।
Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on November 10, 2017 at 2:16pm

बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है आदरणीय गजेन्द्र जी, बधाई स्वीकार करें।

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on November 9, 2017 at 10:19pm
सुंदर गजल कहि आपने। हार्दिक बधाई स्वीकारें•
Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on November 9, 2017 at 8:01pm
उम्दा ग़ज़ल हुई आदरणीय..बधाइयाँ
Comment by Samar kabeer on November 7, 2017 at 8:35pm
मेरे कहे को मान देने के लिए धन्यवाद ।
Comment by Gajendra shrotriya on November 7, 2017 at 3:28pm
ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका आभारी हूँ आ० ब्रजेश कुमार जी।
Comment by Gajendra shrotriya on November 7, 2017 at 3:26pm
ग़ज़ल से ऐब-ए-तनाफ़ुर हटाने के लिए आपका हार्दिक आभार आ० समर कबीर साहब। बहुत शुक्रिया। आपके द्वारा सुझाए अनुसार आवश्यक संशोधन कर दिया है।सादर।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185

परम आत्मीय स्वजन, ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 185 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
9 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
9 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, प्रस्तुति पर आपसे मिली शुभकामनाओं के लिए हार्दिक धन्यवाद ..  सादर"
20 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

आदमी क्या आदमी को जानता है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२२ कर तरक्की जो सभा में बोलता है बाँध पाँवो को वही छिप रोकता है।। * देवता जिस को…See More
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Monday
Sushil Sarna posted blog posts
Nov 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Nov 5
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

देवता क्यों दोस्त होंगे फिर भला- लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२ **** तीर्थ जाना  हो  गया है सैर जब भक्ति का यूँ भाव जाता तैर जब।१। * देवता…See More
Nov 5

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
Nov 2
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
Nov 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
Oct 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
Oct 31

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service