For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

चेह्रा फ़क़त हसीं न हो दिल भी हसीं रहे - तरही ग़ज़ल

221  2121 1221 212


राह- ए- बदी से हम कभी वाक़िफ़ नहीं रहे 
फिर भी तेरे निशाने पे वाइज़ हमीं रहे     

कर ग़ौर अपने तौर-तरीकों पे एक बार
चहरा फ़क़त हसीं न हो दिल भी हसीं रहे 

दिल के दियार की ज़रा रौनक बहाल हो
गर इस मकाँ में आप सा कोई मकीं रहे

कर इश्क या जगा दे तसव्वुफ़ तेरी रज़ा
ऐ दिल तेरे खिलाफ़ कभी हम नहीं रहे 


अब भी यहीं हैं फूल कली चाँद सब मगर
दिलकश तुम्हारे बाद ये उतने नहीं रहे

दिल के फ़लक पे ख़ूब सितारे अयाँ हैं पर
बनके यहाँ पे चाँद हमारा तुम्हीं रहे


सब है ख़ुदा के हाथ में सच है यही मगर 
खुद पर भी ऐ बशर तुझे कुछ तो यकीं रहे 

उलझा लिया है जीस्त के फ़ित्नों ने इस तरह 
" ऐ इश्क़ हम तो अब तेरे क़ाबिल नहीं रहे"

------------------------------------------------------------

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 835

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Gajendra shrotriya on December 11, 2017 at 11:36pm

आपका आभारी हूँ आ.सुरेन्द्र नाथ जी।

Comment by Gajendra shrotriya on December 11, 2017 at 11:34pm
Comment by Gajendra shrotriya on December 11, 2017 at 11:32pm

बहुत शुुक्रिया आ.Ram Awadh VIshwakarma  जी।

Comment by Gajendra shrotriya on December 11, 2017 at 11:27pm

उत्साहवर्धन  हेेतु  आपका आभारी हूूँ   आ. Gurpreet Singh जी

Comment by नाथ सोनांचली on December 11, 2017 at 5:04am

आद0 गजेंद्र जी सादर अभिवादन, बेहतरीन ग़ज़ल कही आपने, बहुत बहुत बधाई आपको।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on December 10, 2017 at 1:45pm

हार्दिक बधाई

Comment by Ram Awadh VIshwakarma on December 9, 2017 at 5:29pm

आदरणीय गजेन्द्र जी आपकी ग़ज़ल का हर शेर लाजबाब है। आपको बहुत बहुत बधाई।

Comment by Gurpreet Singh jammu on December 8, 2017 at 3:35pm

वाह वाह आदरणीय गजेन्द्र जी,,बहुत ही खूबसूरत ग़ज़ल कही है आपने ,,,,

Comment by Gajendra shrotriya on December 7, 2017 at 11:46pm

आ० समर कबीर साहिब सादर अभिवादन !  ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार व्यक्त करता हूँ । आपके द्वारा निर्देशित सुधार कर रहा हूँ। सादर।

Comment by Gajendra shrotriya on December 7, 2017 at 11:29pm

आ० अजय तिवारी जी  सादर अभिवादन ! ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका आभारी हूँ । आपका सुझाव उपयुक्त हेै, तदनुसार संशोधन कर रहा हूँ। आगे भी आपके मार्गदर्शन का आकांक्षी हूंँ। सादर।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
4 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
4 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
5 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
6 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"असमंजस (लघुकथा): हुआ यूॅं कि नयी सदी में 'सत्य' के साथ लिव-इन रिलेशनशिप के कड़वे अनुभव…"
7 hours ago
Profile IconSarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
11 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
yesterday
Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
yesterday
LEKHRAJ MEENA is now a member of Open Books Online
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service