करुण रुदन करता नहीं, कोई जाता देख
चाहे लिखता वो रहा, हर दिन सुख का लेख।१।
*
कैसे मुख अब फेर लूँ, मन में लिए सवाल
इस से भी बदतर कहीं, ना हो आगत साल।२।
*
यादें छोड़ तमाम फिर, गया और इक वर्ष
लाभ हानि का लोग क्यों, करते हैं निष्कर्ष।३।
*
स्वागत को हर्षित हुए, करें विदा तो हर्ष
क्या बोलूँ अब मैं भला, कैसा था यह वर्ष।४।
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साथ समय के नित जिसे, कोसा दसियों बार
वही बिछड़ते दे रहा, नया साल उपहार।५।
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नये …
ContinueAdded by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on December 31, 2023 at 10:00pm — No Comments
2122/१२१२/२२
***
दिल की कालिख सँवार आँखों में
कह रहे सब खुमार आँखों में।१।
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फिर सुहाता न कोई भी उस को
उग गया जिस के खार आँखों में।२।
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वार करती है जानलेवा वो
क्या लिए है कटार आँखों में।३।
*
दिल तो बेचैन उस की बातों से
दिख रहा पर करार आँखों में।४।
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सिर्फ दुख से न होती नम लोगो
हर्ष भी लाता धार आँखों में।५।
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मन की चाहत सुबास सरसों की
खिल गयी पर …
Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on December 31, 2023 at 7:29pm — 1 Comment
२२१/२१२१/१२२१/२१२
रहती हो जिसके साथ मुसीबत हरी भरी
कैसे हो उस की यार तबीयत हरी भरी।१।
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वो भाग्यवान तात से जिसको मिले सदा
आशीष लाड़ डाँट नसीहत हरी भरी।२।
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सबने है आग द्वेष की सुलगा रखी बहुत
रखता है मन में कौन मुहब्बत हरी भरी।३।
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बढ़ता न ताप दुनिया का ऐसे कभी नहीं
रखते धरा को लोग जो औसत हरी भरी।४।
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बाँटें दुखों के बोझ को मिलके सदा यहाँ
दो ईश खूब सब को ही…
Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on December 31, 2023 at 7:22pm — 2 Comments
२१२२/१२१२/२२
*
सूनी आँखों की रोशनी बन जा
ईद आयी सी फिर खुशी बन जा।१।
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अब भी प्यासा हूँ इक सदी बीती
चैन पाऊँ कि तू नदी बन जा।२।
*
हो गया जग ये शीत का मौसम
धूप सी तू तो गुनगुनी बन जा।३।
*
मौत आकर खड़ी है द्वार अपने
एक पल को ही ज़िन्दगी बन जा।४।
*
मुग्ध कर दू फिर से हर महफिल
आ के अधरों पे शायरी बन जा।५।
*
इस नगर में तो सिर्फ मसलेंगे
फूल जाकर तू जंगली बन जा।६।…
Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on December 2, 2023 at 7:00am — 3 Comments
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