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Dr.Brijesh Kumar Tripathi's Blog – November 2010 Archive (3)

सत्य

राजा सत्यकेतु की नींद मे व्यवधान पड़ा तो वे जग गये.अंधेरे मे देखने की कोशिश की तो एक सजी धजी अपरिचित महिला को महल से बाहर जाते देखा. पूछने पर उसने बताया,"मै इस राज्य की भाग्यलक्ष्मी हूँ.मै इस राज्य को त्याग कर जा रही हूँ.

राजा ने कारण पूछा तो भाग्यलक्ष्मी ने उत्तर दिया,"जिस राजा के राज्य मे धन का सम्मान नही होता मै वहाँ नही रहती".राजा ने चूंकि उन दिनो गरीबों, अपाहिजों और असमर्थों के लाभार्थ अपने खजाने खोल रक्खे थे और भाग्य लक्ष्मी उसे अपव्यय और अपना अपमान समझती थी,अतः राजा के रोकने और…
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Added by Dr.Brijesh Kumar Tripathi on November 19, 2010 at 11:00pm — 2 Comments

जागो मेरे स्वामी जागो...

देवोत्थानी एकादशी के अवसर पर मेरे पूज्य पिताजी देवों को जगाया करते थे आज उनकी स्मृति को मन मे संजोए उनकी परंपरा का निर्वाह मै निम्न शब्दों से करता हुआ आप सबको देव- उठानी एकादशी की बधाई देता हूँ.







जागो मेरे स्वामी जागो...



तुम सोए तो सो जाती है...



इस जग की ममता अनजानी,



कहाँ... न जाने खो जाती है,



मेरी भी क्षमता अनचीन्ही..







तुम जागो तो विश्व जागेगा



मानवता..विश्वास जगेगा...



भेद भावना ,…
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Added by Dr.Brijesh Kumar Tripathi on November 14, 2010 at 9:30pm — 3 Comments

हौसला

दीपक की देखी बाती

तेल में डूबी निज तन जलाती

महा तमस में अकेले ही

उजियारा फैलाती

सबका हौसला बढाती

देखी दीपक की बाती...

एक सैनिक

जो युद्ध-भूमि में पड़ा है

मातृभूमि के लिए

आखिरी साँस तक लड़ा है

उसके सीने में देशभक्त का

गौरव जड़ा है ....



हम युद्ध जीतेंगे हर बार

दुश्मन से भी और

बुराइयों से भी...

ऐ मेरे रहबर !

समझौते की मेज़ पर

अपना मनोबल न गिराना

खुद के आत्म सम्मान के लिए

देश को दांव पर न… Continue

Added by Dr.Brijesh Kumar Tripathi on November 7, 2010 at 11:00pm — No Comments

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मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
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मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
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मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
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मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
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मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय चेतन प्रकाश  जी, अच्छी ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। सादर।"
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