For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Kedia Chhirag's Blog (10)

ग़ज़ल- ज़िंदगी क्यूँ तेरा पता ढूँढता हूँ !!

बहर - 2122 / 1212 / 2122 

रेत पर किसके नक्शे पा ढूँढता हूँ !

ज़िंदगी क्यूँ तेरा पता ढूँढता हूँ !!

किस ख़ता की सज़ा मिली मुझको ऐसी 

माज़ी में अपने ,वो ख़ता ढूँढता हूँ !!

य़क सराबों के दश्त में खो गया मैं

अब निकलने का रास्ता ढूँढता हूँ !!



दौरे गर्दिश में संग ,गर चल सके जो

कोई ऐसा मैं हमनवा ढूँढता हूँ !!

रौशनी थी मुझे मयस्सर कब आखिर

फिर भी क्यूँ कोई रहनुमा ढूँढता हूँ !!

.

चिराग़…

Continue

Added by Kedia Chhirag on June 28, 2014 at 1:00pm — 13 Comments

इस अन्धकार में कितनी सदियाँ और बिताना बाकी है ?

"चीख चीख कर पूछ रहा है ,ये उद्वेलित मन मेरा मुझसे ,

इस अन्धकार में कितनी सदियाँ और बिताना बाकी है ?

चूड़ियाँ पहने पड़ी इस सुषुप्त व्यवस्था को धिक्कारने में

अब भी यूँ ही कितनी मोमबत्तियाँ और जलाना बाकी है ?

इस कुण्ठित दानवता के कुकृत्यों से लज्जित ,

आज मानवता कितनी बेबस पानी पानी है ?

मोड़ मोड़ पर खड़े ये दुर्योधन और दु:शासन ,

दुर्गा पूजती सभ्यता की क्या यही निशानी है ?

कोरे कागज़ी कानूनों के फूल चढ़ाये ,यूँ अर्थियाँ उठाते,

कितने…

Continue

Added by Kedia Chhirag on June 6, 2014 at 9:30am — 4 Comments

ज़िन्दगी ठहरी फ़क़त दो पल की

खबर क्या है किसी को कल की

ज़िन्दगी ठहरी फ़क़त दो पल की

एक से ही हैं गम हमारे

एक सी ही तो खुशियाँ

दिल से दिल के दरमयाँ

फिर क्यूँ इतनी है दूरियाँ

तमन्ना किसे है आखिर ,किसी ताजमहल की

ज़िन्दगी ठहरी फ़क़त दो पल की .............

आ चल दो पल हम

जरा दिल से रो लें

नफ़रत के हर निशाँ

आँसुओं से धो लें

ओढ़ माँ का आंचल

दो पल को हम सो लें

जिन्दगानी हो कहानी ,यक नए पहल की

ज़िन्दगी ठहरी फ़क़त दो पल की…

Continue

Added by Kedia Chhirag on December 3, 2013 at 4:00pm — 9 Comments

मुझमें बसी मेरी कविता है तू

"रचा न जिस वास्ते तुझे खुदा ने

उस रंग में कभी खुद को न रंग

दुनियादारी है रवायत दुनिया की

दुनियादार न बन दुनिया के संग

निश्चल ये दिल है ,चंचल जैसे

छलछल कलकल बहता पानी है

थम न जाना किसी मराहिल पे

दरिया की तो रविश ही रवानी है

खिलखिलाते देखता हूँ तुझे जब भी

याद आता है मुझको अपना बचपन

क्या बख्त होगा उस घर आँगन का

तेरे क़दमों से जो हो जायेगा गुलशन



खुदा न बशर ,न हूर न फ़रिश्ता है तू

अन्तर्मन में…

Continue

Added by Kedia Chhirag on August 1, 2013 at 8:30am — 2 Comments

इक दीवाना मुसव्विर

"कुछ दिनों बाद

पूछेगी जब ये दुनिया मुझसे

हुआ क्या तेरी कलम को

क्यों रूठी है तुझसे वो

जबाब क्या दूँगा जानता नहीं…

Continue

Added by Kedia Chhirag on May 18, 2013 at 7:30pm — 6 Comments

करें इश्क और रखें फिर भी दिल पे काबू ,क्या कहें

"करें इश्क और रखें फिर भी दिल पे काबू ,क्या कहें

बतलाएँ क्या कैसा रूप है तेरा कैसी है तू ,क्या कहें

डूबे कजियारी आँखों में तेरे तो जी ली ज़िन्दगी सारी

अज़ब है ये आशिकी भी…

Continue

Added by Kedia Chhirag on May 18, 2013 at 7:30pm — 6 Comments

और तू मेरी दुल्हन हो

"सावन की झम झम हो

पायल की छम छम हो

भीगा भीगा तन मन हो

कोई प्यार का सरगम हो

खोई खोई सी धड़कन हो

और तू मेरी…

Continue

Added by Kedia Chhirag on May 12, 2013 at 12:30am — 9 Comments

मुझसे कभी तू रूठ न जाना

"ऐ चांदनी मेरी ,

मुझसे तू कभी रूठ न जाना

खोई सी हैं धड़कनें तुझमें…

Continue

Added by Kedia Chhirag on May 11, 2013 at 3:00pm — 7 Comments

इस दिल ने अपनी ज़िन्दगानी से कहा

"चंदा ने चांदनी से कहा

इस दिल ने अपनी ज़िन्दगानी से कहा

बतलाऊँ तुझको…

Continue

Added by Kedia Chhirag on April 23, 2013 at 1:30pm — 7 Comments

आ भी जा इक पल को कभी यूँ भी

"ख्यालों से मेरे उतर आये सामने तू कभी

थम जाये ये वक़्त भी ,उस पल को वहीँ

आ भी जा इक पल को कभी यूँ भी…

Continue

Added by Kedia Chhirag on April 20, 2013 at 10:57am — 5 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Friday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Wednesday
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। पति-पत्नी संबंधों में यकायक तनाव आने और कोर्ट-कचहरी तक जाकर‌ वापस सकारात्मक…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब। सोशल मीडियाई मित्रता के चलन के एक पहलू को उजागर करती सांकेतिक तंजदार रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार।‌ रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर रचना के संदेश पर समीक्षात्मक टिप्पणी और…"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service