For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ज़िन्दगी ठहरी फ़क़त दो पल की

खबर क्या है किसी को कल की
ज़िन्दगी ठहरी फ़क़त दो पल की

एक से ही हैं गम हमारे
एक सी ही तो खुशियाँ
दिल से दिल के दरमयाँ
फिर क्यूँ इतनी है दूरियाँ

तमन्ना किसे है आखिर ,किसी ताजमहल की
ज़िन्दगी ठहरी फ़क़त दो पल की .............

आ चल दो पल हम
जरा दिल से रो लें
नफ़रत के हर निशाँ
आँसुओं से धो लें
ओढ़ माँ का आंचल
दो पल को हम सो लें

जिन्दगानी हो कहानी ,यक नए पहल की
ज़िन्दगी ठहरी फ़क़त दो पल की .............

~~~ चिराग़

[July 21,2013]

मौलिक एवम् अप्रकाशित 

Views: 553

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr Ashutosh Mishra on December 5, 2013 at 9:35am

आपकी इस सुंदर प्रस्तुति पर सादर बधाई ..

Comment by अरुन 'अनन्त' on December 4, 2013 at 5:02pm

आदरणीय चिराग साहब अच्छा प्रयास किया है आपने भावपक्ष बहुत पसंद आया शिल्प और ध्यान देने की आवश्यकता है प्रयासरत रहें इस प्रयासपर बधाई स्वीकारें.

ओढ़ माँ का आंचल
दो पल को हम सो लें .. खासकर ये पंक्ति बहुत ही पसंद आई.

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on December 4, 2013 at 3:47am

अच्छे भाव हैं . बधाई .

Comment by Kedia Chhirag on December 3, 2013 at 11:55pm

सभी गुरुजनों का दिल से बहुत बहुत आभारी हूँ ..अभी सीख रहा हूँ ...रचना शिल्प की खामियां अच्छी तरह समझता हूँ...बिलकुल लचर है और भाव के सिवा कुछ भी नहीं ...संध्या जी, मुझे स्वयं ही ज्ञात नहीं क्या विधा है क्योंकि गीत कह नहीं सकता ...मात्रिकता का कोई ख्याल नहीं रखा गया है ...और कोई हो नहीं सकता सिवा नवगीत के ...अब नवगीत के नियमों पे खरा है या नहीं ये आप बतलाईये ...मैं तो अभी काफी नौसिखुआ हूँ बहुत सीखना है .....


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on December 3, 2013 at 9:52pm

केडीआ चिराग जी, भाव बहुत ही बढ़िया पकड़े हैं, शिल्प पर और कसावट होनी चाहिए, बधाई इस प्रयास पर |

Comment by Sushil Sarna on December 3, 2013 at 7:48pm

sundr bhaav yukt rachna...badhaaee

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on December 3, 2013 at 6:36pm

चिराग जी

अच्छे भाव शिल्प के लिए आपको बधाई i

Comment by sandhya singh on December 3, 2013 at 6:20pm

अच्छी रचना है ...मगर किस विधा में है ?

Comment by Shyam Narain Verma on December 3, 2013 at 5:12pm
बहुत ही सुन्दर ,  हार्दिक बधाई आपको......

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
20 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

अस्थिपिंजर (लघुकविता)

लूटकर लोथड़े माँस के पीकर बूॅंद - बूॅंद रक्त डकारकर कतरा - कतरा मज्जाजब जानवर मना रहे होंगे…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार , आपके पुनः आगमन की प्रतीक्षा में हूँ "
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका हार्दिक आभार "
Tuesday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय कपूर साहब नमस्कार आपका शुक्रगुज़ार हूँ आपने वक़्त दिया यथा शीघ्र आवश्यक सुधार करता हूँ…"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, बहुत सुन्दर ग़ज़ल है आपकी। इतनी सुंदर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें।"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​ग़ज़ल का प्रयास बहुत अच्छा है। कुछ शेर अच्छे लगे। बधई स्वीकार करें।"
Sunday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"सहृदय शुक्रिया ज़र्रा नवाज़ी का आदरणीय धामी सर"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​आपकी टिप्पणी एवं प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service