"ख्यालों से मेरे उतर आये सामने तू कभी
थम जाये ये वक़्त भी ,उस पल को वहीँ
आ भी जा इक पल को कभी यूँ भी
मचली लहरें ज्यों साहिल को चूमें
आये बहार यूँ के हर धड़कन झूमे
बहकी सबा ,महकी फ़ज़ा ज्यूँ तुझको छू ले
महव ए ख्वाब ये लम्हे ,गुम हो जाये रूह में
तेरी खुशबू से ये रातें हो रु ब रु कभी
थम जाये ये वक़्त भी ,उस पल को वहीँ
आ भी जा इक पल को कभी यूँ भी
मनभावन है रैन मगर दिल को है चैन कहाँ
बसी हर सू में तू ही तू ,झपके कैसे नैन भला
मेरे साँसों की हर नवा करती है तआकुब तेरा
बहुत हुआ इंतज़ार प्रिये ,कर उल्फत की इब्तेदा
आए इक दिन तू ,जिंदगी से है ख्वाहिश यही
थम जाये ये वक़्त भी ,उस पल को वहीँ
आ भी जा इक पल को कभी यूँ भी''
~~~चिराग़
April 19, 2013
"पूर्णतः मौलिक एवं अप्रकाशित "
Comment
खूब सूरत अभिव्यक्ति हेतु बधाई, आदरणीय केडिया जी
सुकोमल खूबसूरत ख्वाहिशों की सुन्दर अभिव्यक्ति के लिए बधाई
वाह! बहुत प्यारी रचना आदरणीय चिराग जी.बहुत बहुत बधाई कुबुलें.
बहुत बहुत धन्यवाद ,कुंती जी ...सर्वथा स्नेहाशीष एवं पथ प्रदर्शन की अभिलाषा रहेगी ......
बहुत सुंदर रूमनियत से पूर्ण .....मन को छू देने वाली कविता . बहुत बधाई / सादर ..कुंती .
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