"सावन की झम झम हो
पायल की छम छम हो
भीगा भीगा तन मन हो
कोई प्यार का सरगम हो
खोई खोई सी धड़कन हो
और तू मेरी दुल्हन हो
महका महका चन्दन हो
बहका बहका पवन हो
झूमा झूमा सा चमन हो
अधरों पे मधुर चितवन हो
झुके झुके से दो नयन हो
और तू मेरी दुल्हन हो
जुल्फ़ बिखरे बिखरे हों
चेहरे निखरे निखरे हो
लहरा लहरा आँचल तेरा
मचले मन ये चंचल मेरा
ख़्वाबों का कोई गुलशन हो
और तू मेरी दुल्हन हो
फूलों के सुंदर झूले हो
शोखी हर सिम्त घुले हो
दिल यूँ खिले खिले हो
बाद बरसों के ज्यूँ मिले हों
लफ्ज़ मेरे तेरा दर्पण हो
और तू मेरी दुल्हन हो
फ़लक पे महताब हो
मधुमास का शबाब हो
मुस्कुराते से ख्वाब हों
बाँहों में जमील सहाब हो
कोई क़माल ए सुखन हो
और तू मेरी दुल्हन हो''
~~~ चिराग
May 11,2013
[ पूर्णतः मौलिक एवं अप्रकाशित ]
हर सिम्त - हर दिशा में
महताब - चाँद
जमील - सुंदर
सहाब - प्रेमी
क़माल ए सुखन - बेहतरीन कविता
Comment
स्नेहशीषों के लिए सभी गुरुवरों का बहुत बहुत आभार .....कृपया त्रुटियों की ओर भी ध्यानाकर्षण करवाएं ताकि मैं अपनी रचना के स्तर को सुधार सकूँ ..बड़ी कृपा होगी .......
महका महका चन्दन हो
बहका बहका पवन हो
झूमा झूमा सा चमन हो
अधरों पे मधुर चितवन हो
झुके झुके से दो नयन हो
और तू मेरी दुल्हन हो..........बहुत सुन्दर.
रचना प्रस्तुति के लिए बधाई चिराग जी ..हार्दिक शुभकामनाएं
waah
सुन्दर ख्वाइश
सस्नेह बधाई
सुन्दर सजी हो
नइ नवेली हो
सौलह श्रृंगार किय हो
ऐसे दुल्ल्हा हो, तो कोई बात बने, ऐसी ख्वाइश लिए सुन्दर शब्द लिए रचना के लिए बधाई श्री चिराग केडिया जी
बहुत ही सुन्दर सादर,
गर्मी से राहत देती रचना
आ0 चिराग भाई जी, ‘‘फ़लक पे महताब हो
मधुमास का शबाब हो
मुस्कुराते से ख्वाब हों ‘‘बहुत-बहुत सुन्दर। बधाई स्वीकारें। सादर,
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