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योगराज प्रभाकर's Blog – April 2015 Archive (2)

बोझ (लघुकथा)

"बापू, हमारे साथ शहर क्यों नहीं चलते ?"
"शहर जा बसेंगे तो खेती कौन करेगा ?"  
"क्या रखा है खेती में ? कभी सूखा फसल को मार जाता है तो कभी बेमौसम बरसात।"
"तुम्हें कैसे समझाऊँ बेटा।"
"खुल कर बताओ बापू, दिल पर कोई बोझ है क्या ?"
"ये अन्नदाता की उपाधि का बोझ है बेटा, तुम नहीं समझोगे ।"      
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(मौलिक एवँ अप्रकाशित)

Added by योगराज प्रभाकर on April 21, 2015 at 5:04pm — 18 Comments

दो लघुकथाएँ - (अम्बेदकर जयंती पर)

(१). बदरंग संवेदनाएँ



"घोषणा करवा दो कि कल हम पूरा दिन अन्न-जल ग्रहण नहीं करेंगे।"    

"क्यों नेता जी ? कल तो कोई व्रत उपवास भी नहीं है।"

"अरे कल अम्बेदकर जयंती है न, पता नहीं किस किस बस्ती में जाना पड़ जाए ।"  

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(२). सफ़ेद साँप



"आज तो स्पेशल जश्न होना चाहिए।"

"तो भेजें किसी को दारू सिक्का लाने ?"

"दारू सिक्के के साथ साथ मेरे लिए नत्थू की लौंडिया पकड़ कर…

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Added by योगराज प्रभाकर on April 15, 2015 at 4:00pm — 17 Comments

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