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दर्द से आज तक हो नावाकिफ,
यार! तुम से न शायरी होगीI
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(मौलिक और अप्रकाशित)
Comment
आह मज़लूम ने भरी होगी.
आग यूँ ही नहीं लगी होगीI
एक गोली कहीं चली होगी.
एक दुनिया उजड़ गई होगीI
आदरणीय योगराज सर , सीधे दिल को छूते अशआर .... अंतर्भावों की शानदार अभिव्यक्ति .... ये ग़ज़ल शानदार अहसासों का हुजूम है। ..... हार्दिक बधाई सर।
बहुत ही शानदार ग़ज़ल है सर. हर शेर लाजवाब है.
//आज तक भी है अनगढ़ा पत्थर,
जिसको छैनी बुरी लगी होगीI//
यह शेर तनकीद को नाकाबिल-ए-बर्दाश्त समझने वाले नवहस्ताक्षरों को याद रखना चाहिए.
//दर्द से आज तक हो नावाकिफ,
यार! तुम से न शायरी होगीI //
पूर्णतः सहमत हूँ इस शेर. शायरी बिना दर्द के नहीं होती.
इस ख़ूबसूरत ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई प्रेषित है सर. सादर.
एक अरसे बाद लेकिन क़ामयाब ग़ज़ल के लिए हार्दिक शुभकामनाएँ, आदरणीय ..
सादर
आदरणीय योगराज भाई , लाजवाब ग़ज़ल कही है , क्या बात है । हरेक शेर काबिले दाद है , दिली मुबारकबाद कुबूल करें ।
शर्म से लाल हो गया पीपल,
बेल कोई लिपट गई होगीI
आज तक भी है अनगढ़ा पत्थर,
जिसको छैनी बुरी लगी होगीI
दर्द से आज तक हो नावाकिफ,
यार! तुम से न शायरी होगीI --- इन तीन शेरों के होने के लिये जितनी बधाइयाँ दूँ कम है -- वाह
आदरणीय योगराज भाईजी
बहुत ही खूबसूरत गजल और पतंग पर ज्ञान वर्धक चर्चा के लिए हार्दिक बधाई । आदरणीय भाई समर कबीर का भी आभार ।
शाम में टंकण त्रुटि है श्याम कर लीजिए।
सादर
किस एक शेर की बात करूं सभी एक से बढ़कर एक हुए आद० योगराज जी बहुत ही मुरस्सा ग़ज़ल हुई है दिल से हर शेर पर दाद हाजिर है .पतंग शब्द को लेकर चर्चा हुई अच्छा लगा हालाँकि इस तरह की चर्चा मेरे शेर को लेकर एक और ब्लॉग पर भी हुई थी पर मैंने अपना शेर वैसा ही रहने दिया हिन्दी साहित्य में हजारों जगह पतंग को स्त्रीलिंग ही प्रयोग किया है उर्दू के विषय में नहीं जानती थी सो इस चर्चा से आज साफ़ हो गया है ओबिओ मंच की यही तो ख़ासियत है कि यहाँ लेखकों और पाठकों को ऐसी चर्चाओं से लाभ होता है |
ग़ज़ल पसंद करने के लिए हार्दिक आभार भाई सुरेश कुमार कल्याण जीI
हार्दिक आभार आ० कल्पना भट्ट जी, आपको ये शेअर पसंद आए तो ये मुझे भी अच्छे लगने लगेI
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