For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"क्या? आपने धूम्रपान छोड़ दिया? ये तो आपने कमाल ही कर दिया।"
"आखिर इतनी पुरानी आदत को एकदम से छोड़ देना कोई मामूली बात तो नहीं।"
"सही कहा आपने, ये तो कभी सिगरेट बुझने ही नही देते थे।"
"जो भी है, इनकी दृढ इच्छा शक्ति की दाद देनी होगी।"
"इस आदत को छुड़वाने का श्रेय आखिर किस को जाता है?"
"भाभी को?"  
"गुरु जी को?"
"नहीं, मेरी रिटायरमेंट को।"उसने ठंडी सांस लेते हुए उत्तर दिया।
.
.
(मौलिक व अप्रकाशित) 

Views: 1896

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on September 17, 2017 at 10:55pm

कम शब्दों में बहुत कुछ कह दिया है सर आपने इस कथा के माध्यम से | रिटायरमेंट के बाद बुजुर्गों की आदतें जब उनको बदलनी पडती है दर्द होता है उनको ,बहुत ही मार्मिक पल को आपने कहा है इस कथा के माध्यम से | आदरणीय रवि सर के कमेंट के कमेंट से भी सीखना मिला है | सादर प्रणाम आप दोनों को |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on January 2, 2015 at 7:17pm
इस लघुकथा पर आदरणीय रवि प्रभाकर जी का बहुत ही अच्छा कमेंट है।हम नए लोगो को पढ़ना चाहिए।
Comment by Hari Prakash Dubey on January 2, 2015 at 6:04pm

बहुत ही सुन्दर लघुकथा, सशक्त रचना,  ये रचना मैंने आज देखी , शायद उस समय दफ्तर के कार्य से बाहर था ....आनंद आ गया , शिल्प भी समझ आ रहा है ! आपको हार्दिक बधाई आदरणीय योगराज सर ! सादर 


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on January 2, 2015 at 5:21pm

लघुकथा की मुक्तकंठ से प्रशंसा हेतु हार्दिक आभार भाई मिथिलेश वामनकर जी।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on December 17, 2014 at 1:39am

सशक्त प्रस्तुति है.... रिटायर्मेंट के दर्द को आपने बहुत अच्छे ढंग उकेरा है.... इस सशक्त और प्रभाव छोड़ने वाली रचना के लिए आपको बहुत बहुत बधाई आदरणीय योगराज सर 


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on July 3, 2014 at 3:26pm

प्रिय अनुज रवि, रचना को बहुमूल्य समय देने, पसंद करने इस विधा की बारीकियों को बेहद सुन्दर ढंग से प्रस्तुत करने हेतु  शुक्रिया। 


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on July 3, 2014 at 3:23pm

आ० डॉ किरण आर्य जी
आ० कल्पना रामानी जी

अग्रज प्रदीप सिंह कुशवाहा जी  

आ० लडीवाला जी.
लघुकथा पसंद करने के लिए अतिशय आभार

Comment by Ravi Prabhakar on July 3, 2014 at 2:59pm

    लघुकथा में तीक्ष्ण और सूक्ष्म व्यंग्य एक केन्द्रीय तत्त्व होता है। व्यंगात्मक पेशकारी बौद्धिकता का प्रमाण है। लघुकथा से यह आशा कि जाती है कि वह पाठक की सोच को प्रभावित करे और रचना पढ़ने/सुनने के बाद वह कुछ सोचने/करने के लिए प्रेरित हो। लघुकथा पाठकों को उन घटनाओं या व्यवहारों पर सोचने/करने के लिए भावात्मक झटका देती है जिनको वो पहले जीवन में तुच्छ समझ कर नजरअंदाज कर देता है। व्यंग्य ही लघुकथा और चुटकले को पृथक करता है। चुटकुला कुछ क्षणों के के लिए पाठक को यथार्थ की धरातल से दूर कर उसे हंसाता है। परन्तु लघुकथा पढ़ने के बाद संवेदनशीन पाठक के मन मस्तिष्क पर सन्नटा सा छा जाता है और वह बहुत कुछ सोचने पर मजबूर हो जाता है। सहजता में असहजता और साधारणता में छुपी असाधारणता को केन्द्रीय बिन्दु बनाने से लघुकथा का गल्पी बिंब उभर कर सामने आता है।
    आदरणीय श्री प्रभाकर जी की प्रस्तुत लघुकथा पाठक को बहुत कुछ सोचने पर मजबूर करती है। कसा हुआ शिल्प, शब्दों की अल्पता इस पर चार चांद लगाते है। जो लोग इसे महज चुटकुला समझने की भूल कर कर रहे हैं उन्हे लघुकथा पर गहन अध्ययन करने की आवश्यकता है। सादर ।

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on April 7, 2014 at 10:03am

अब तक दोहों के बारे में कहा जाता था की "देखन में छोटे लगे घाव करे गंभीर,"लेकिन जब से लघु कथाओं की बयार चली है 

श्रेष्ठ लघु कथाओं के बारे में भी यही अथवा "गागर में सागर" वाली कहावत चरितार्थ होती है | यह बात आपकी लघु कथाओं 

में सपष्ट परिलक्षित होती है,जिसमे कहानी जहा सम्पाप्त होती है, आगे की बात स्वत मन में आकार ले लेती है जिसे कहानी 

में कहा तो नहीं गया पर भाव छिपा है | बहुत बहुत बधाई सुन्दर लघु कथा के लिए आद. श्री योग राज भाई जी 

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on April 5, 2014 at 10:47pm

आदरणीय श्री प्रभाकर जी 

सादर अभिवादन 

हरि अनन्त हरि कथा अनंता 

लघु कथा बांचें संता  बंता

सुन्दर कथा कहेयो जग नामा 

सादर जोर कर  करेहू प्रनामा 

जय हो मंगलमय हो .

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के
"अच्छी ग़ज़ल हुई, भाई  आज़ी तमाम! लेकिन तीसरे शे'र के सानी का भाव  स्पष्ट  नहीं…"
5 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on surender insan's blog post जो समझता रहा कि है रब वो।
"आदरणीय सुरेद्र इन्सान जी, आपकी प्रस्तुति के लिए बधाई।  मतला प्रभावी हुआ है. अलबत्ता,…"
14 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . . .
"आदरणीय सौरभ जी आपके ज्ञान प्रकाश से मेरा सृजन समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय जी"
yesterday
Aazi Tamaam posted a blog post

ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के

२२ २२ २२ २२ २२ २चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल केहो जाएँ आसान रास्ते मंज़िल केहर पल अपना जिगर जलाना…See More
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 182 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है| इस बार का…See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey added a discussion to the group भोजपुरी साहित्य
Thumbnail

गजल - सीसा टूटल रउआ पाछा // --सौरभ

२२ २२ २२ २२  आपन पहिले नाता पाछानाहक गइनीं उनका पाछा  का दइबा का आङन मीलल राहू-केतू आगा-पाछा  कवना…See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . . .
"सुझावों को मान देने के लिए हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय सुशील सरना जी.  पहला पद अब सच में बेहतर हो…"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

कुंडलिया. . . .

 धोते -धोते पाप को, थकी गंग की धार । कैसे होगा जीव का, इस जग में उद्धार । इस जग में उद्धार , धर्म…See More
yesterday
Aazi Tamaam commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"एकदम अलग अंदाज़ में धामी सर कमाल की रचना हुई है बहुत ख़ूब बधाई बस महल को तिजोरी रहा खोल सिक्के लाइन…"
Tuesday
surender insan posted a blog post

जो समझता रहा कि है रब वो।

2122 1212 221देख लो महज़ ख़ाक है अब वो। जो समझता रहा कि है रब वो।।2हो जरूरत तो खोलता लब वो। बात करता…See More
Tuesday
surender insan commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। अलग ही रदीफ़ पर शानदार मतले के साथ बेहतरीन गजल हुई है।  बधाई…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . . .
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन के भावों को मान देने तथा अपने अमूल्य सुझाव से मार्गदर्शन के लिए हार्दिक…"
Tuesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service