For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

खुश हुआ तू बोलकर....(गजल)

2122 2122 2122

खुश हुआ तू बोलकर,' है जानवर तू'

लग रहा खुद को बताता,बेसबर तू।
सांस बनकर बह रहीं ठंडी हवाएं
आग की लपटें उठा मत बन, कहर तू।
ख्वाब पाले  मौन बैठी हैं सदाएं
कानफाड़ू! ला सके तो,ला सहर तू?
तार होती हो नहीं उम्मीद कोई,
हो अगरचे तो बता,कोई पहर तू?
हर्फ हासिल हो गए तो शायरी कर,
क्यूं अंधेरों को बढ़ाता है बशर तू?
मत बिठा मेरी गजल को हाशिए पर
छटपटाती है बहर,देखे अगर तू।
रुक्न रोते, बुदबुदाते शब्द सारे,
नज़्म कहकर फेंकता कंकड़,मगर तू।
बंट सका पानी कभी क्या बावरी का?
प्रेम -धुन गाती लहर, बस मत मुकर तू।
तेल मिट्टी में मिला गढ्ढे बनाता,
बोलता मुंह फाड़कर,' इसमें उतर तू।'
जाल में खुद के फंसा बनकर मूषक क्यूं,
भाग ले बाहर जरा उसको कुतर तू।
" मौलिक व अप्रकाशित"

Views: 906

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Manan Kumar singh on May 25, 2020 at 11:34am

आपका दिली आभार आदरणीय छोटेलाल जी।

Comment by डॉ छोटेलाल सिंह on May 25, 2020 at 9:09am

आदरणीय मनन कुमार जी बहुत ही शानदार गजल लिखने के लिए दिली मुबारकबाद कुबूल कीजिये

Comment by Manan Kumar singh on May 20, 2020 at 2:36pm

आपका तहे दिल से आभार आदरणीय तेजवीर सिंह जी।

Comment by TEJ VEER SINGH on May 20, 2020 at 12:03pm

हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह जी । बेहतरीन गज़ल।

हर्फ हासिल हो गए तो शायरी कर,
क्यूं अंधेरों को बढ़ाता है बशर तू?

Comment by Manan Kumar singh on May 19, 2020 at 2:14pm

आदरणीय लक्ष्मण भाई,आपका बहुत बहुत आभारी हूं।गाहे - बेगाहे प्रयास चलता रहता है।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on May 19, 2020 at 2:10pm

आ. भाई मनन जी, सादर अभिवादन । अच्छी गजल हुई है । हार्दिक बधाई ।

Comment by Manan Kumar singh on May 18, 2020 at 7:29pm

देशकाल और वातावरण के अनुरूप जनाभिव्य क्ति को मुखर करते हुए प्रचलित शब्दों के व्यवहार को अज्ञता - विज्ञता की परिधि में संकुचित करना अपरिहार्य नहीं होना चाहिए।

Comment by Samar kabeer on May 18, 2020 at 6:20pm

//बेसबर और बहर जैसे शब्द अब अप्रचलित नहीं है,यह कहना अप्रासंगिक नहीं होगा।मेरे विचार में हमें अब इन चीजों को स्वीकार करना चाहिए//

ये शब्द उन्हीं लोगों के लिए प्रचलित हैं जो शब्दों का सहीह ज्ञान नहीं रखते,अन्यथा अधिकतर शाइर जो हिन्दी भाषी हैं,सहीह शब्द ही प्रयोग करते हैं,वैसे मेरा काम जानकारी देना है,इसे मानना या न मानना आपकी मर्ज़ी है ।

Comment by Manan Kumar singh on May 18, 2020 at 6:13pm

आभार और नमन आदरणीय समर जी।दूसरे शेर में उला में बहर में त्रुटि है। मैं उसमें चुप की जगह मौन कर दूंगा,मात्रा पूर्ण हो जाएगी।यह इंगित करने के लिए आपका आभार व्यक्त करता हूं। हां, बेसबर और बहर जैसे शब्द अब अप्रचलित नहीं है,यह कहना अप्रासंगिक नहीं होगा।मेरे विचार में हमें अब इन चीजों को स्वीकार करना चाहिए।

Comment by Manan Kumar singh on May 18, 2020 at 6:11pm

आभार और नमन आदरणीय समर जी।दूसरे शेर में उला में बहर में त्रुटि है। मैं उसमें चुप की जगह मौन के दूंगा,मात्रा पूर्ण हो जाएगी।यह इंगित करने के लिए आपका आभार व्यक्त करता हूं। हां, बेसबर और बहर जैसे शब्द अब अप्रचलित नहीं है,यह कहना अप्रासंगिक नहीं होगा।मेरे विचार में हमें अब इन चीजों को स्वीकार करना चाहिए।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Dayaram Methani replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय शिज्जु "शकूर" जी, पोस्ट पर आने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
25 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"पगों  के  कंटकों  से  याद  आयासफर कब मंजिलों से याद आया।१।*हमें …"
3 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय नीलेश जी सादर अभिवादन आपका बहुत शुक्रिया आपने वक़्त निकाला मतला   उड़ने की ख़्वाहिशों…"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"उन्हें जो आँधियों से याद आया मुझे वो शोरिशों से याद आया अभी ज़िंदा हैं मेरी हसरतें भी तुम्हारी…"
4 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ. शिज्जू भाई,,, मुझे तो स्कॉच और भजिये याद आए... बाकी सब मिथ्याचार है. 😁😁😁😁😁"
6 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"तुम्हें अठखेलियों से याद आया मुझे कुछ तितलियों से याद आया  टपकने जा रही है छत वो…"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय दयाराम जी मुशायरे में सहभागिता के लिए हार्दिक बधाई आपको"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय निलेश नूर जीआपको बारिशों से जाने क्या-क्या याद आ गया। चाय, काग़ज़ की कश्ती, बदन की कसमसाहट…"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, मुशायरे के आग़ाज़ के लिए हार्दिक बधाई, शेष आदरणीय नीलेश 'नूर'…"
6 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"ग़ज़ल — 1222 1222 122 मुझे वो झुग्गियों से याद आयाउसे कुछ आँधियों से याद आया बहुत कमजोर…"
7 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"अभी समर सर द्वारा व्हाट्स एप पर संज्ञान में लाया गया कि अहद की मात्रा 21 होती है अत: उस मिसरे को…"
8 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"कहाँ कुछ मंज़िलों से याद आया सफ़र बस रास्तों से याद आया. . समुन्दर ने नदी को ख़त लिखा है मुझे इन…"
9 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service