अपने जीवन काल में , देखी पहली ईद |
मोबाइल में कर रहा , मैं अपनों की दीद ||
बिन आमद के घट गयी , ईदी की तादाद |
फीका बच्चों को लगे , सेवइयों का स्वाद ||
कहे मौलवी ईद है , कैसी बिना नमाज़ |
रब रूठा तो क्या करें, कौन सुने आवाज़ ||
ख़ूब मचलती आस्तीं , हमकिनार हों यार |
लेकिन सब दूरी रखें , कोविड करे गुहार ||
ग्राहक का टोटा हुआ ,सूने हैं बाज़ार |
घर में सारे बंद हैं , ठंडा है व्यापार ||
चन्द जगह पर विश्व में , जबरन हुई नमाज़ |
जिए रिआया या मरे , उनको नहीं लिहाज़ ||
कोरोना से आज भी , बहुत श्रमिक मजबूर |
घर वालों से वे रहे , ईद दिवस पर दूर ||
कह 'तुरंत' मायूसियाँ, हैं जीवन का अंग |
पक्का अगली ईद पर ,हम सब होंगे संग ||
मान लिया इस साल में , सपने हुए शहीद |
ग़म मत करना दोस्तों , फिर आएगी ईद | |
ईद-मुबारक पर दिखी ,कोरोना की छाप |
कह 'तुरंत' उम्मीद मत , छोड़ें हरगिज़ आप ||
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गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' बीकानेरी
मौलिक व अप्रकाशित
25 /05 /2020
Comment
भाई रणवीर सिंह 'अनुपम' जी ,
इस उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए आभार एवं नमन |
आदरणीय Samar kabeer साहेब , आपकी इस सराहना से सृजन धन्य हुआ | सादर आभार एवं नमन |
जनाब गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत' जी आदाब,
वाह वाह, बहुत ख़ूब, आज के हालात पर बहुत उम्दा दोहे कहे आपने,इस प्रस्तुति पर दिल से बधाई स्वीकार करें ।
'जिए रियाया या मरे , उनको नहीं लिहाज़'
इस पंक्ति में 'रियाया' को "रिआया" कर लें ।
आदरणीय अमीरुद्दीन खा़न "अमीर " साहेब , इस उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए आभार एवं नमन |
जनाब गिरधारी सिंह गहलोत जी 'तुरंत', ईद पर बहुत सुन्दर और और मार्मिक दोहे हुए हैं। बधाई स्वीकार करें।
आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' जी, इस उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए आभार एवं नमन |
आ. भाई गिरधारी सिह जी, समय की कैद हुई ईद पर उम्दा दोहे हुए हैं । हार्दिक बधाई ।
आदरणीय Ram Awadh VIshwakarma जी , इस उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए आभार एवं नमन |
फीका बच्चों को लगे सेवइयों का स्वाद
वाह वाह आदरणीय ईद सभी दोहे शानदार हैं
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