For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

नदी इंकार मत करना कभी तू अपनी क़ुर्बत से (१०७ )

( 1222 1222 1222 1222 )

.

नदी इंकार मत करना कभी तू अपनी क़ुर्बत से
समुन्दर बेसहारा हो न जाये तेरी हरकत  से

हमेशा वक़्त हो महफ़िल सजाने लुत्फ़ लेने का
ख़ुदाया दूर रखना ज़िंदगी भर शाम-ए-फ़ुर्क़त से

जहाँ में हर बशर को नैमत-ए-उल्फ़त अता करना
कहीं भी रब न रह पाए कोई महरूम चाहत से

ज़रा सी गुफ़्तगू शीरीं भी करना सीख लो मीरों
हमेशा मसअले हल हो नहीं सकते हैं ताक़त से

हमारे हिन्द के फौज़ी नहीं अब हैं किसी से कम
पड़ोसी बाज़ आ जा तू ज़रा अपनी हिमाक़त से

गुनाहों की तरफ चल दें न ये मजदूर बेबस हों
न हासिल हो उन्हें रोटी अगर मेहनत मशक़्क़त  से

वबा ने शान-ओ-शौकत ऐश और आराम छीने सब
किया आगाह पंगा लेना मत इंसान क़ुदरत से

ख़ुदा के हाथ की कठपुतलियाँ हैं लोग दुनिया में
कराया रू ब रू इंसान को फिर इस हक़ीक़त से

शजर को काटना छाती ज़मीं की चीरना छोड़ें
'तुरंत' इंसान सीखें ये सबक़ सारे शराफ़त से
**
गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' बीकानेरी |

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 707

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on June 7, 2020 at 3:57pm

भाई सालिक गणवीर  जी , इस उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए बहुत बहुत आभार 

Comment by सालिक गणवीर on June 7, 2020 at 3:29pm

आदरणीय गहलोत जी

सादर अभिवादन

एक और शानदार ग़ज़ल की प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाइयाँ स्वीकार करें.

Comment by Samar kabeer on June 5, 2020 at 8:17pm

मैंने 'ग़लतियाँ' के बारे में नहीं "ग़लती" को 112 बताया था,'ग़लतियाँ'212 होगा ।

Comment by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on June 5, 2020 at 8:16pm

भाई  TEJ VEER SINGH  जी , इस उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए दिल से आभार  एवं सादर नमन | 

Comment by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on June 5, 2020 at 8:15pm

आदरणीय सुरेन्द्र नाथ सिंह 'कुशक्षत्रप'  जी , इस उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए दिल से आभार  एवं सादर नमन

Comment by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on June 5, 2020 at 8:14pm

आदरणीय अमीरुद्दीन 'अमीर'  साहेब , इस उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए दिल से आभार  एवं सादर नमन | 

Comment by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on June 5, 2020 at 8:13pm

आदरणीय Samar kabeer  साहेब , आपकी हौसला आफजाई और नई जानकारी के लिए बहुत बहुत आभार | आपने ग़लतियाँ शब्द के लिए भी १११२ बताया था | देवनागरी में लिखने वालों को शायद ही हरकत =११२ पता होगा | 

Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on June 5, 2020 at 5:12pm

आदरणीय गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत' जी, आदाब। अच्छी ग़ज़ल हुई है, बधाई स्वीकार करें। सादर। 

Comment by नाथ सोनांचली on June 5, 2020 at 1:49pm

आद0 गिरधर सिंह गहलोत जी सादर अभिवादन। बढ़िया ग़ज़ल कही आपने। बधाई स्वीकार कीजिए

Comment by TEJ VEER SINGH on June 5, 2020 at 12:38pm

हार्दिक बधाई आदरणीय गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत' जी। बेहतरीन गज़ल।

गुनाहों की तरफ चल दें न ये मजदूर बेबस हों
न हासिल हो उन्हें रोटी अगर मेहनत मशक्क़त से

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"शीत लहर ही चहुँदिश दिखती, है हुई तपन अतीत यहाँ।यौवन  जैसी  ठिठुरन  लेकर, आन …"
6 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"सादर अभिवादन, आदरणीय।"
6 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"सभी सदस्यों से रचना-प्रस्तुति की अपेक्षा है.. "
23 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। लम्बे अंतराल के बाद पटल पर आपकी मुग्ध करती गजल से मन को असीम सुख…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Nov 17
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Nov 17
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Nov 17

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service