(1222 *4 )
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कहीं दिल टूटना देखा कहीं दिलदारी देखी है
कहीं ख़ुशियों की फुलवारी कहीं ग़म-ख़्वारी देखी है
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नशा देखा कभी ज़र का कभी नादारी देखी है
कभी मस्ती कभी हमने मुसीबत भारी देखी है
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कभी तल्ख़ी कभी आँसू हसद के दौर अपनों के
मरासिम को निभाते वक़्त दुनियादारी देखी है
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अधूरे रह न जाएँ ख़्वाब बच्चों के इसी ख़ातिर
अधूरे ख़्वाब ख़ुद के रहने की लाचारी देखी है
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ख़ुमारी में रहे हैं इश्क़ और मयकश निगाहों के
वहीं फ़ुरक़त के लम्हों की भी ख़ातिरदारी देखी है
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हमें करने नहीं देती है क्यों परवाज़ ये दुनिया
हमारे पर कतरने की सदा तैयारी देखी है
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सितारे आसमाँ पर किस तरह टाँके क़रीने से
गज़ब की ऐ ख़ुदा तेरी कशीदाकारी देखी है
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बनाया आपका पैकर ख़ुदा ने है अनासिर से
अलग लेकिन सभी चेहरों की मीनाकारी देखी है
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ख़यालों से सजाता हैं 'तुरंत' अपनी ग़ज़ल को जूँ
कभी ऐसी कहीं अल्फ़ाज़ की गुलकारी देखी है ?
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गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' बीकानेरी |
मौलिक व अप्रकाशित
Comment
भाई TEJ VEER SINGH जी , आपकी हौसला आफ़जाई के लिए दिली शुक्रिया |
हार्दिक बधाई आदरणीय गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत जी। बेहतरीन गज़ल।
अधूरे रह न जाएँ ख़्वाब बच्चों के इसी ख़ातिर
अधूरे ख़्वाब ख़ुद के रहने की लाचारी देखी है
हमें करने नहीं देती है क्यों परवाज़ ये दुनिया
हमारे पर कतरने की सदा तैयारी देखी है
आदरणीय रवि भसीन 'शाहिद' साहेब , आदाब , आपकी हौसला आफ़जाई के लिए दिली शुक्रिया |
आदरणीय गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' साहिब, आपको इस ख़ूबसूरत ग़ज़ल पर हार्दिक बधाई।
भाई सालिक गणवीर जी , आदाब , आपकी हौसला आफ़जाई के लिए दिली शुक्रिया |
आदरणीय गहलोत जी
सादर अभिवादन
एक और लाजवाब ग़ज़ल के लिए मेरी हार्दिक शुभकामनाएं स्वीकारेें.
अधूरे रह न जाएँँ ख़्वाब बच्चों के इसी ख़ातिर
अधूरे ख़्वाब ख़ुद के रहने की लाचारी देखी है
इस उम्दा शैर पर मुबारकबाद क़ुबूल फरमायें.
आदरणीय Samar kabeer साहेब ,आदाब , आपकी हौसला आफ़जाई के लिए दिली शुक्रिया |
जनाब गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत' जी आदाब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है,बधाई स्वीकार करें ।
आदरणीय Dimple Sharma जी , हार्दिक आभार एवं वंदन उत्साहवर्धन के लिए |
नमस्ते आदरणीय , बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है बधाई स्वीकार करें।
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